नई दिल्ली, भारत के कानून आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति बी.एस. चौहान ने कहा है कि खेल में सट्टेबाजी को वैध बनाने के सामाजिक, आर्थिक और नैतिक प्रभाव की जांच किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर मिथक और नकारात्मक विचार को उजागर किया जाना चाहिए।
फिक्की और ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित पहले इंडियो गेमिंग कन्क्लेव में न्यायमूर्ति चौहान ने कहा, निजी स्वतंत्रता मूलभूत अधिकार है जो हम सब चाहते हैं लेकिन साथ ही समाज में इससे प्रभावित होने वाले लोगों की सुरक्षा भी जरूरी है।
फिक्की ने बयान में न्यायमूर्ति चौहान के हवाले से कहा, जो लोग सट्टेबाजी को वैध करने के पक्ष में हैं वे व्यक्तिगत स्वायत्ता की रक्षा और न्यूनतम सरकारी हस्तक्षेप में विश्वास करते हैं और जो लोग इसका विरोध करते हैं वे सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के पक्षधर हैं और उनके लिए नैतिकता महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, इसलिए सुधार की आवश्यकता है जिसका उद्देश्य लचीलापन है जबकि उपभोक्ताओं के लिए विकल्प की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना है। इसलिए स्वतंत्रता और विकल्प के बीच संतुलन कायम करने की जरूरत है।