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सत्ता पक्ष की तरह विपक्ष भी रखे सदन की गरिमा का ख्याल: सीएम योगी

लखनऊ, उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन बुधवार को विकास के मामले में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच हुयी तीखी नोकझोंक से खफा मुख्यमंत्री एवं नेता सदन योगी आदित्यनाथ ने सदन की मर्यादा का पालन करने की नसीहत दी।

दरअसल, राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच नोंकझोंक हुयी जिस पर दोनो पक्षों की तरफ से शोरशराबा और टीकाटिप्पणी की जाने लगी। नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव की अभद्र भाषा पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हस्तक्षेप करते हुए उन्हें सदन की मर्यादा बनाए रखने की सीख दी।

उन्होंने कहा “ किसी बात पर हमारी सहमति और असहमति हो सकती है। हम बाद में इसमें ‘करेक्शन’ करा सकते हैं, लेकिन सदन में तू-तू, मैं-मैं नहीं होना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष को इतना उत्तेजित नहीं होना चाहिए।”

मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि अगर इस प्रकार की शब्दावली सदन की कार्यवाही का हिस्सा बनी है, तो उसे हटवा दें। क्योंकि यह गलत परंपरा होगी और इसका देश में खराब संदेश जाएगा। हमें हमेशा इस बात का ध्यान रखना होगा। सदन की मर्यादा का ध्यान हर हाल में बनाए रखना होगा।”

उन्होंने कहा कि जब उपमुख्यमंत्री बोल रहे हों, तो बीच में ‘रनिंग कमेंट्री’ करना या धमकी देना ठीक नहीं है। इससे सदन की मर्यादा आहत होती है। कोई भी इसे स्वीकार नहीं करेगा। मैं विनम्रता से कहूंगा, नेता प्रतिपक्ष सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता हैं। सदन की परंपरा और गरिमा का सत्ता पक्ष पालन कर रहा है, विपक्ष भी उस मर्यादा का पालन करेगा, तो दोनों का सम्मान बना रहेगा।

योगी ने कहा, “बहुत सारी चीजें नेता प्रतिपक्ष की ऐसी थीं, जो आपत्तिजनक हो सकती थीं। हमने सुना। हमें जो स्वीकार करना होगा, उसे स्वीकार करेंगे और उसका जवाब भी देंगे, लेकिन बीच में इस तरह की उत्तेजना दिखाना उचित नहीं है। इससे माहौल खराब होता है। सदन से बाहर अनावश्यक रूप से खराब संदेश जाता है। हमारे बारे में टिप्पणियां होती हैं। सदन के बारे में टिप्पणी होती है। हर सदस्य की मर्यादा भंग होती है और सदन के बाहर सदस्यों का सम्मान तार-तार होता है। जनता में भी इसका खराब संदेश जाता है। इस प्रकार की शब्दावली का प्रयोग न हो।”

उन्होने कहा “ हम लोग भी जो विकास कार्य करा रहे हैं या आपकी सरकार के समय जो विकास कार्य हुए होंगे, यह हमारी ड्यूटी थी। सरकार, सरकार होती है और हर सरकार को अपनी उपलब्धियों को कहने का अधिकार है। उप मुख्यमंत्री ने बिलकुल सही कहा, विकास की जब चर्चा हुई, तो उन्होंने जो बातें कहीं बिलकुल ठीक थीं। उनका भाषण संपन्न होता, उसके बाद आप लोग अपनी बात कह सकते थे। मैं कल भी देख रहा था। वित्त मंत्री कल जब यहां पर जवाब देने के लिए खड़े हुए उन पर जिस तरह की भाषा का प्रयोग किया गया। आज फिर हम देख रहे हैं। लोकतंत्र में हर सदस्य को सदन में अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है और अगर आप कहेंगे, तो कैसे इस बात की अपेक्षा रखते हैं कि इस तरफ से उसका जवाब नहीं मिलेगा। ”

योगी ने कहा “ सहमति और असहमति लोकतंत्र की ताकत है। हम यह नहीं कहते कि आप हमारी बात से सहमत हों या मैं यह भी नहीं कह सकता कि आपकी बात से मैं सहमत हूं। मैंने पूरे एक घंटे तक आपकी बात को सुना। जब मेरे दल की ओर से मेरी बारी लगाई जाएगी। मैं उस दिन अपनी बात को यहां रखूंगा। इसीलिए मैंने आपके पूरे भाषण को सुना और उसका पूरा जवाब भी दूंगा। मैं उम्मीद करुंगा कि सभी विपक्षी नेता यहां पर हमारी बात को भी सुनेंगे, लेकिन सरकार के वरिष्ठतम नेताओं में से एक, जो लगातार दूसरी बार उपमुख्यमंत्री हैं, उनके द्वारा जब किसी बात को रखा जा रहा हो तो उसे शालीनता से सुनना चाहिए।”