लखनऊ, भारत निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश की सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) में एकता के संकेत मिलने लगे हैं। मुलायम और शिवपाल ने अखिलेश यादव को पार्टी का नया मुखिया मान लिया है। सूत्रों के मुताबिक वे चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती भी नहीं देंगे। इस बीच मुलायम ने अखिलेश को 38 उम्मीदवारों की सूची भी सौंपी है। हालांकि, अखिलेश ने एहतियात के तौर पर उच्चतम न्यायालय में कैविएट दायर कर दी है।
सूत्रों की माने तो सपा के दोनों गुट अब एक साथ चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। पार्टी और चुनाव चिन्ह छिनने के बाद मुलायम सिंह यादव के राजधानी स्थित आवास पर मंगलवार को एक मैराथन बैठक हुई। इस बैठक में शिवपाल के अलावा इस गुट के कई नेता शामिल हुए। खबर है कि इस बैठक में मुलायम गुट ने तय किया कि अखिलेश का अब कोई विरोध नहीं किया जाएगा। सभी ने सर्वसम्मति से अखिलेश को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वीकार कर लिया। बैठक में यह भी तय हुआ कि मुलायम गुट चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ अदालत में भी नहीं जायेगा। बैठक के दौरान तय हुआ कि दोनों गुट एक होकर विधानसभा का चुनाव लड़ेगा और मुलायम गुट के लोगों के नाम की एक सूची बनाकर अखिलेश को सौंपी जायेगी। खबर है कि बाद में मुलायम ने 38 प्रत्याशियों की एक सूची अखिलेश यादव को सौंपी है। इस सूची में मुलायम और शिवपाल समर्थकों के नाम हैं, जिसमें ओम प्रकाश सिंह और नारद राय का भी नाम शामिल है। सूत्रों का कहना है कि इस सूची में शिवपाल का नाम नहीं है। वह अब चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। मुलायम की सूची में शिवपाल की जगह उनके बेटे आदित्य यादव का नाम डाला गया है। चर्चा है कि आदित्य इटावा के जसवंतनगर सीट से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन अखिलेश यादव को सूची सौंपने के बाद फिर इसमे परिवर्तन करते हुये आदित्य के स्थान पर शिवपाल का नाम कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज मुलायम से मिलने फिर उनके आवास गये थे। सूत्रों का कहना है कि मुलायम ने इस दौरान प्रत्याशियों की सूची अखिलेश को सौंपी। सूत्रों की माने तो अखिलेश अपनी सूची में इन प्रत्याशियों को जगह दे सकते हैं। इस बीच अखिलेश यादव से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने चुनाव चिन्ह साइकिल को लेकर उच्चतम न्यायालय में आज कैविएट दायर कर दी है। हालांकि मुलायम गुट ने चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती न देने का मन बनाया है, लेकिन अखिलेश ने एहतियातन यह फैसला लिया है। अखिलेश गुट का मानना है कि चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ यदि कोई उच्चतम न्यायालय जाता है तो उनका पक्ष पहले सुना जायेगा।
गौरतलब है कि मुलायम ने सोमवार को चुनाव आयोग से फैसला आने से पहले कहा था कि पार्टी को बचाने के लिए वह कुछ भी करने को तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि यदि उन्हें पार्टी का चुनाव चिन्ह न मिला तो वह अदालत जायेंगे। इसके बाद देर शाम चुनाव आयोग ने फैसला सुनाते हुए अखिलेश यादव को ही सपा का वास्तविक अध्यक्ष माना और चुनाव चिन्ह साइकिल भी उन्हीं के पक्ष में दे दिया। अखिलेश ने शायद मुलायम के कल वाले बयान के ही मद्देनजर एहतियात बरतते हुए आज उच्चतम न्यायालय में कैविएट दाखिल कर दिया।