लखनऊ, राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. मसूद अहमद ने मंगलवार को कहा कि सूबे की सत्ता में आने के बाद सपा, बसपा और भाजपा की सरकारों ने गांवों की दशा पर कोई ध्यान नहीं दिया। केवल अम्बेडकर ग्राम एवं लोहिया ग्राम घोषित करके विकास के नाम पर धन की बन्दरबांट की हैं, जिससे किसान एवं मजदूर दर -दर भटकने को ही मजबूर रहा है। डाॅ. अहमद ने पार्टी कार्यालय में किसानों, मजदूरों एवं बेरोजगारों की स्थिति पर चर्चा करने के बाद यहां कहा कि ग्रामीण अंचल के युवा वर्ग को सपा,बसपा और भाजपा के नेताओं ने गुमराह किया है, जिससे आज युवा बेकारी एवं बेरोजगारी की मार झेल रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की लगभग 65 प्रतिशत जनता अब भी गांवों में निवास करती है, जिसकी आय का श्रोत खेती एवं मजदूरी होता है। अपने खून पसीने की कमाई से किसान एवं मजदूर अपने बच्चों को शिक्षा दिलाता है, उसके बाद भी बेरोजगारी का दंश झेल रहा है। डाॅ. अहमद ने कहा कि प्रत्येक पंचवर्षीय योजना के पश्चात बनने वाली सरकारों के बाद भी किसानों,मजदूरों,बेरोजगारों की स्थिति में कोई अन्तर नहीं आया है। रालोद अध्यक्ष ने कहा कि किसानों के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह की मूल विचारधारा यह थी कि देश की तरक्की का रास्ता खेत और खलिहान से होकर जाता है। इसी विचारधारा पर राष्ट्रीय लोकदल कार्य कर रहा है। इसलिए आगामी विधान सभा चुनाव में ग्रामवासियों की दशा एवं ग्रामीण विकास को ही ध्यान मेें रहकर पार्टी सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। इस सन्दर्भ में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बैठकर रणनीति बनायी जायेगी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास के द्वारा ही उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाया जा सकता है।