लखनऊ, बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा है कि प्रदेश में अब समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार किसी भी कीमत पर नहीं आने वाली है। उन्होंने कहा कि सपा राज में मुजफ्फरनगर सहित 500 साम्प्रदायिक दंगे हुए हैं। दादरी की घटना हुई, मथुरा का जवाहरबाग काण्ड हुआ, जिसमें पुलिस अफसर तक की मौत हुई। इसके अलावा बुलन्दशहर में बलात्कार काण्ड जैसी घटना हुई है। बसपा प्रमुख ने कहा कि सपा सरकार में पूरे पांच साल साम्प्रदायिकता हावी रही, जंगलराज और अपराधराज रहा। इसके अलावा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे से लेकर लूट, डकैती, दुराचार सहित महिला उत्पीड़न के मामलों से कानून व्यवस्था चौपट रही। अब पार्टी ने ऐसी सरकार वाले दागी चेहरे को फिर मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट किया है। क्या जनता ऐसे दागी चेहेर को वोट देगी? या फिर इन्हे रोकने वाली बसपा को। उन्होंने कहा कि सपा सरकार में पूरे प्रदेश में असुरक्षा का माहौल रहा।
इन सबसे जनता का ध्यान हटाने और पर्दा डालने के लिए सपा ने परिवार में कलह का ड्रामा रचा। इसके अलावा पार्टी ने गुण्डों और दागियों को टिकट दिया है। मुलायम ने शिवपाल को बनाया बलि का बकरा बसपा मुखिया ने कहा कि सपा के पूर्व प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने पुत्र मोह के कारण किस्म-किस्म की नाटकबाजी की। सोची समझी रणनीति के तहत अपने भाई शिवपाल यादव को बलि का बकरा बनाया। उन्होंने कहा कि सपा एक डूबती हुई नइया है, जिससे जनता का मोहभंग हो चुका है। बसपा प्रमुख ने समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी पर मिलीभगत का भी आरोप लगाया। सपा के दागी चेहरे के आगे नतमस्तक हुई कांग्रेस मायावती ने कहा कि इसी तरह कांग्रेस का भी घोर स्वार्थी चेहरा सामने आया है।
पार्टी सपा के दागी चेहरे के आगे नतमस्तक हो गई और उसके साथ गठबन्धन स्वीकार कर लिया। मायावती ने कहा कि ऐसा करके कांग्रेस के सर्वोच्च नेतृत्व ने साबित कर दिया है कि उनकी पार्टी यूपी में ऑक्सीजन पर है और वास्तव में ऐसा है भी। पार्टी को ऐसे दागी चेहरे की जरूरत थी, जिसे बल पर वह भाजपा को सत्ता से दूर रखने की बात कह रही थी। उन्होंने कांग्रेस को सलाह देते हुए कहा कि उन्हें छोटे दलों से गठबंधन कर चुनाव लड़ना चाहिए। बसपा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस की हालत इतनी खराब है कि उसके राष्ट्रीय नेतृत्व को खाट सभाएं और रथयात्रा के बावजूद चुनाव में खड़े करने के लिए प्रत्याशी नहीं मिल पा रहे हैं। शीला दीक्षित को पहले मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया6, फिर अखिलेश का समर्थन कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि बिहार में भले ही नीतिश कुमार ने कांग्रेस की नइया पार लगा दी, लेकिन यहां उसके दिवालियेपन की चर्चा है। उन्होंने कहा कि बसपा को रोकने के लिए विरोधी दल साजिश कर रहे हैं, लेकिन केन्द और राज्य सरकार की नीतियों से जनता परेशान है। सपा के पांच साल और केन्द्र सरकार के ढ़ाई साल के कार्यकाल को लेकर जनता में आक्रोश है। भाजपा और आरएसएस दलित विरोधी मायावती ने कहा कि भाजपा अभी तक मुख्यमंत्री पद का चेहरा तक घोषित नहीं कर पाई है। आरएसएस के आरक्षण वाले बयान पर उन्होंने कहा कि बिहार की तरह भाजपा की अब यूपी में भी हार होगी। उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस दलित और गरीब विरोधी है। अगर इन्हें सत्ता में आने का मौका मिलेगा तो यह दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों का आरक्षण समाप्त कर देगी।
इसलिए जनता एकजुट होकर बसपा को वोट दें। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इन वर्गों के साथ ही अल्पसंख्यक और उच्च वर्ग के गरीबों को आरक्षण देने के पक्ष में हैं क्योंकि हमारा नारा सर्वजन हिताय और सवर्जन सुखाय है। नहीं करते सुप्रीम कोर्ट की परवाह मायावती ने इसी तरह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की परवाह नहीं करते हुए मुस्लिम समाज से अपील की कि वह विरोधी दलों के बहकावे में न आए और सिर्फ उनकी हितैषी पार्टी बसपा को ही वोट दे। उन्होंने कहा, सपा को वोट देकर मुस्लिमों को अपना वोट बर्बाद नहीं करना चाहिए। भाजपा को हराने के लिए मुस्लिम बसपा को ही वोट दें।