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सभी पुरूष प्रधान समाज भेदभाव करते हैं: पर्सनल लॉ बोर्ड

नई दिल्ली, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि विवाद सिर्फ तीन तलाक के मुद्दे को लेकर नहीं है, बल्कि समुदायों के बीच पुरूष प्रधानता की व्यापक मौजूदगी भी है। बोर्ड ने प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ से सोमवार को कहा कि सभी पुरूष प्रधान समाज भेदभाव करते हैं।

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उसके वकील कपिल सिब्बल ने पीठ से यह भी कहा कि पर्सनल लॉ और परंपरा एवं प्रथा में अंतर होता है। सिब्बल ने कहा, सभी पुरूष प्रधान समाज पक्षपाती हैं। हिंदू धर्म में पिता अपनी संपत्ति किसी को भी वसीयत कर सकता है, लेकिन मुस्लिम समुदाय में ऐसा नहीं है।

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 मैं हिंदू समाज में ऐसी कई परंपराओं की ओर इंगित कर सकता हूं। क्या यह सही है कि कोई महिला तलाक के लिए आवेदन करे और 16 साल तक संघर्ष करे और उसे कुछ हासिल नहीं हो। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के कुछ इलाकों में बहुविवाह की प्रथा है, लेकिन इसे सुरक्षा हासिल है क्योंकि यह परंपरा है और सिर्फ समाज यह फैसला करेगा कि इसे कब बदला जाएगा। पर्सनल लॉ बोर्ड की दलीलें पेश करना अभी पूरा नहीं हुआ और ये आज भी जारी रहेंगी।

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