लखनऊ , उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि सभी भाषाएं सम्मान योग्य हैं और उनको वर्ग और समुदाय में नहीं बांटा जा सकता।
श्री नाईक ने मंगलवार को राजभवन में स्वर्गीय अख्तर मोहानी के उर्दू काव्य संग्रह की प्रथम प्रति शबिस्तां भेंट की गई। काव्य संग्रह शबिस्तांष् को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान द्वारा मान्य सभी भाषाएं सम्मान योग्य हैं। भाषाओं को वर्ग और समुदाय में नहीं बांटा जा सकता। भारत की विशेषता है कि यहाँ विभिन्न धर्माें और भाषाओं के लोग एक.दूसरे के साथ मिलकर रहते हैं।
उन्होंने कहा कि मेरी नजर में भाषाएं एक.दूसरे को जोड़ने का काम करती हैं। जो भारत के संविधान की भाषा है वह भारत की भाषा हैए और जो भारत की भाषा है वह अपनी भाषा है। उन्होंने कहा कि इस भूमिका में हमें सोचना भी चाहिए और काम भी करना चाहिए। श्री नाईक ने परिजनों का अभिनन्दन करते हुए कहा कि स्वर्गीय अख्तर मोहानी की मृत्यु के उपरान्त उनके परिजनों द्वारा उनका काव्य संग्रह प्रकाशित कराना सराहनीय है। पिता के प्रति उनकी पुस्तक का प्रकाशन परिवार की तरफ से एक श्रद्धांजलि स्वरूप है। उर्दू हिन्दी की छोटी बहन है।
रघुवर सहाय उर्फ फिराक गोरखपुरीए गोपी चन्द्र नारंग जैसे अनेक विद्वान हैंए जिन्होंने उर्दू साहित्य को समृद्ध किया। उर्दू भाषा ष्जोश और जज्बेष् की भाषा है जो अनेकता में एकता और मिली.जुली संस्कृति की बुनियाद है। उन्होंने कहा कि काव्य संग्रह का हिन्दी में भी प्रकाशन हो जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग लाभान्वित हों। राज्यपाल ने बताया कि उनकी पुस्तक ष्चरैवेति!चरैवेति!!ष् अब उर्दू सहित दस भाषाओं में उपलब्ध है। महाराष्ट्र में 80 वर्ष पुराने दैनिक ष्सकालष् में प्रकाशित मराठी भाषा में उनके लेखों के संग्रह को पुस्तक का रूप देकर ष्चरैवेति! चरैवेति!!ष् का नाम दिया गया है।
मूल पुस्तक मराठी का अब तक हिन्दीए उर्दूए गुजरातीए अंग्रेजीए संस्कृतए सिन्धीए अरबीए फारसी एवं जर्मन में अनुवाद किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि अनुवाद के माध्यम से दस अलग.अलग भाषाओं के जानने वालों से उनका नया रिश्ता बना। श्री नाईक ने इस अवसर पर अपनी पुस्तक ष्चरैवेति!चरैवेति!!ष् की उर्दू प्रति अपनी ओर से भेंट की। राज्यपाल को काव्य संग्रह भेंट करने वालों में स्वर्गीय अख्तर मोहानी की पत्नी श्रीमती शाहिदा बेगमए पुत्र डाॅ0 रहबर अख्तरए पुत्र वधु डाॅ0 नौशीन एवं अन्य परिवार के सदस्यगण उपस्थित थे। स्वर्गीय अख्तर मोहानी पूर्व में राजभवन के डाकखाने प्रभाग में कार्य करते थे।