समाजवादी परिवार की एकता की कोशिशें दिखाने लगी रंग, मुलायम सिंह हुये सक्रिय
July 28, 2017
नई दिल्ली, समाजवादी परिवार की एकता की कोशिशें रंग दिखाने लगी हैं। मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी सांसदों के साथ पारिवारिक झगड़े के बाद पहलाी बार बैठक, परिवार की एकता की दिशा मे एक सकारात्मक कदम है।
सूत्रों के अनुसार, कुछ लोग परिवार में सुलह कराने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिये लखनऊ से लेकर दिल्ली तक बैठकों का दौर जारी है। चूंकि पार्टी के एक बड़े परंपरागत वोट बैंक पर मुलायम सिंह का अब भी प्रभाव है, साथ ही उनके अनुभव से पार्टी को फायदा मिल सकता है। इसलिये सुलह कराने के प्रयास जारी है। इसी क्रम मे, मुलायम सिंह की पार्टी सांसदों के साथ बैठक हुई।
समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव एक बार फिर से लोक सभा चुनाव की तैयारी में जुट गये हैं। मुलायम सिंह यादव ने सांसदों की बैठक बुलाई और उन्हे क्षेत्र में जाकर 2019 के लोक सभा चुनाव की तैयारी में जुट जाने का आदेश दिया।
मुलायम सिंह यादव ने संसद के पार्टी कार्यालय में सांसदों की बैठक बुलाई। बैठक में राज्य सभा और लोक सभा के सभी सांसदों को बुलाया गया था। बैठक में नेताजी ने सांसदों की जमकर क्लास ली। कई सांसदों से उनके क्षेत्र के बारे में जानकारी ली। उन्होने कुछ सांसदों को क्षेत्र के लोगों की समस्याओं पर ज्यादा ध्यान देने की हिदायत दी।
2019 के लोक सभा चुनाव को लेकर मुलायम सिंह यादव काफी गंभीर दिखे। समाजवादी पार्टी के संरक्षक ने सांसदों से क्षेत्र में अभी से जाकर 2019 के लोक सभा चुनाव की तैयारी में जुट जाने का आदेश दिया। उन्होने बैठक में कांग्रेस को सबसे बड़ा सियासी दुश्मन बताया।
परिवार में मचे घमासान के बाद ये पहला मौका है जब मुलायम सिंह ने पार्टी के संसद सदस्यों की बैठक बुलाई। परिवार में तल्ख़ी अब भी बरक़रार है, ये बैठक मे साफ नजर आया। लोकसभा सदस्यों मे न तो समाजवादी पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव और न ही उनके बेटे और लोक सभा सांसद अक्षय यादव बैठक में शामिल हुए। डिंपल यादव भी बैठक में हिस्सा लेने नहीं पहुंची। मुलायम सिंह के भतीजे धर्मेंद्र यादव बैठक में ज़रूर मौजूद रहे। राज्यसभा सांसदों मे, अमर सिंह और नरेश अग्रवाल भी मीटिंग में नहीं पहुंचे।
मुलायम सिंह की पार्टी सांसदों के साथ बैठक, परिवार की एकता की दिशा मे एक सकारात्मक कदम है। मुलायम सिंह के सामने न सिर्फ परिवार को एक करने की चुनौती है बल्कि उन्हें अपना खोया वोट बैंक वापस पाने के लिए भी जद्दोजहद करनी होगी।