लखनऊ, सपा में नाम और निशान पर मुलायम सिंह और अखिलेश धड़े में जारी जंग पर जल्द ही पूर्ण विराम नही लगने वाला है। चुनाव आयोग ने दोनों गुटों के दावों को सुनने के बाद आज अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है। सूत्रों के अनुसार, आयोग अब १७ जनवरी तक अपना अंतिम निर्णय सुना सकता है।
आज सुबह, चुनाव आयोग में समाजवादी पार्टी के नाम और चिह्न पर सुनवाई शुरू हुई। सुनवाई के लिए मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंचे साथ मे वरिष्ठ अधिवक्ता भी थे। अखिलेश यादव गुट की तरफ से रामगोपाल यादव, किरनमय नंद और नरेश अग्रवाल आयोग पहुंचे हैं, साथ मे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल भी थे। चुनाव आयोग ने दोनों गुटों के दावों को सुना। लेकिन उसने अपना निर्णय न सुनाकर, निर्णय सुरक्षित रख लिया है। सूत्रों के अनुसार, १७ जनवरी तक चुनाव आयोग अपना निर्णय दे सकता है। फिलहाल तब तक दोनों गुटों को इंतजार करना होगा।
वैसे दोनों गुटों ने सभी विकल्पों को ध्यान में रख कर पहले से तैयारी कर ली है। मुलायम सिंह ने जहां राष्ट्रीय लोकदल और इसके चुनाव निशान (हल जोतता किसान) का विकल्प आजमाने की तैयारी की है। वहीं, अखिलेश यादव ने सबसे पहले मोटरसाइकिल पर और इसे साइकिल से मिलता जुलता होने के कारण आयोग द्वारा ठुकराए जाने की स्थिति में सजपा के बरगद के निशान पर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है।
सपा संस्थापक मुलायम सिंह विकल्प के तौर पर लोकदल के चुनाव चिह्न का इस्तेमाल कर सकते हैं।इसके लिये उन्हें समाजवादी पार्टी छोड़कर खुद लोकदल में आना होगा। मुलायम सिंह के उम्मीदवार लोकदल के चुनाव से लड़े तो दल-बदल कानून केमुताबिक लोकदल का ‘हल चलाता किसान’ चिह्न पर जीते विधायक लोकदल के ही कहलाएंगे। यही स्थिति अखिलेश यादव की होगी।