मिर्जापुर, तालियों की गूंज इनकी पहचान रही है, फिर चाहे शादी-ब्याह, बच्चे के जन्म या नए घर के नजराने के तौर पर खुशी में बजती तालियां हों या फिर ट्रैफिक सिग्नल पर रुकी गाड़ियों से भीख न मिलने पर गुस्से में पटकती तालियां हों, लेकिन वक्त के साथ यह पहचान बदल रही है।
कभी महिला, कभी पुरुष की पहचान की फांस में फंसे रहने वाले ट्रांसजेंडरों समाज की मुख्यधारा से जुड़ेंगे। किन्नरों को जल्द ही यूनिक कार्ड जारी किए जाएंगे। यह उनके किन्नर होने का प्रमाण पत्र तो होगा ही, उनके पहचान पत्र (आईडी) के रूप में भी काम आएगा। यूनिक कार्ड उनके अधिकारों को संरक्षित करने के साथ उन्हें विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी दिलाएगा।
जिला समाज कल्याण अधिकारी गिरीश चंद्र दुबे ने आज बताया कि किन्नरों को उनका अधिकार दिलाने के लिए केंद्र और प्रदेश की सरकार गंभीर है। संयुक्त सचिव भारत सरकार, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय एवं सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने समाज में रहने वाले उभयलिंगी (किन्नर) व्यक्तियों के अधिकारों के संरक्षण के लिए प्रमाण पत्र जारी करने एवं उन्हें आईडी कार्ड प्रदान करने के लिए निर्देश जारी किए हैं।
यूनिक कार्ड ट्रांसजेंडर के लिए बनाई गई कल्याणकारी योजनाओं के साथ सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ दिलाने में काफी मददगार साबित होंगे। यूनिक कार्ड के लिए किन्नर आनलाइन व आफलाइन भी पंजीकरण करा सकेंगे। इसके लिए 10 से 15 जुलाई तक सुबह 10 से तीन बजे ब्लाक स्तर पर शिविर आयोजित किए गए हैं। पंजीकरण के बाद उनका कार्ड बन जाएगा। जिनके पास आधार कार्ड नहीं है, उनका पहले किन्नर होने का प्रमाण पत्र बनेगा, फिर उसके जरिए आधार कार्ड व यूनिक कार्ड बनाया जायेगा।
दुबे ने बताया कि यूनिक कार्ड प्राप्त करने के लिए किन्नर को आन लाइन आवेदन करना अनिवार्य होगा। उन्होंने बताया कि इस आई डी से उन्हें आम लोगों की तरह अधिकार मिल जाएगे।