हैदराबाद, केन्द्रीय संसदीय मामलों के मंत्री एम वेंकैया नायूड ने देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के बारे में चर्चा कराये जाने की वकालत की है तथा कहा है कि सरकार इसे नहीं थोपेगी। सरकार इस मुद्दे पर व्यापक आम सहमति बनने के बाद ही आगे बढ़ेगी। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, निश्चित तौर पर जरूरत है समान नागरिक संहिता पर चर्चा कराने की। संविधान निर्माताओं ने, इसकी वकालत की है तथा इसे नीति निर्देश सिद्धान्त में इस उम्मीद में डाला है कि देश सही समय पर एकीकृत नागरिक संहिता अपनायेगा। मैं इसे समान नागरिक संहिता कहूंगा। एकीकृत से विभिन्न अर्थ जाता है। वेंकैया ने ध्यान दिलाया कि विवाह, तलाक एवं संपत्ति का अधिकार जैसे मुद्दे समान होने चाहिएं। पूजा के तरीके जैसे अन्य मुद्दों को लोगों पर छोड़ दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, प्रत्येक धर्म, प्रत्येक समाज में जो सर्वोत्तम हो, उसे ले लेना चाहिए। मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि विवाह, तलाक, उत्तराधिकार एवं संपत्ति का अधिकार, इन्हें समान होना चाहिए। अन्य चीजें, निश्चित तौर पर पूजा का तरीका क्या हो, अन्य परंपराएं कैसी हों, उसे छोड़ देना चाहिए, समान नागरिक संहिता में किसी धर्म के विरूद्ध कुछ भी नहीं होना चाहिए। नायडू ने स्पष्ट किया कि सरकार इसे किसी पर नहीं थोपेगी तथा आम सहमति बनने के बाद ही आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा, आधिकाधिक जागरूकता उत्पन्न हो रही है। किन्तु हम इसे थोपेंगे नहीं जब तक कि सहमति नहीं बन जाती तथा देश इसकी प्रतीक्षा कर रहा है। किन्तु जैसा कि मैंने आपको बताया, हम तभी आगे बढ़ेंगे जब व्यापक सहमति हो हालांकि हम उसके लिए प्रतिबद्ध हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव भाजपा के लिए महत्वपूर्ण होने की बात की ओर ध्यान दिलाते हुए नायडू ने कहा कि पार्टी स्थिति का जायजा लेगी तथा इस बात को तय करेगी कि क्या मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में किसी को पेश किया जाए। नायडू ने कहा, इस पर विचार विमर्श किया जाएगा। रणनीतियां राज्यों के अनुसार अलग अलग होती हैं। महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा में हमने मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित नहीं किया फिर भी हम जीते। असम में हमने घोषित किया। वहां भी हम जीते। हम स्थिति का जायजा लेंगे तथा फिर निर्णय करेंगे।