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समुदाय के रूप में संगठित हों प्रवासी भारतीय भारत की प्रगति में योगदान दें-राष्ट्रपति

वाराणसी,  राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रवासी भारतीयों का आज आह्वान किया कि वे दुनिया में एक समुदाय के रूप में संगठित रह कर ताकतवर रहें और भारत की विकास यात्रा में साझीदार बनें। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीय अपने ज्ञान एवं अनुभव से देश की प्रगति में योगदान दें।

कोविंद ने यहां बड़ालालपुर में तीन दिन चले 15वें प्रवासी भारतीय दिवस के समापन समारोह को संबोधित करते हुए यह कहा। इस मौके पर राष्ट्रपति ने 28 व्यक्तियों एवं दो संगठनों को प्रवासी भारतीय सम्मान से अलंकृत किया जिनमें नॉर्वे के युवा सांसद हिमांशु गुलाटी शामिल थे। समारोह में प्रवासी भारतीय दिवस समारोह के मुख्य अतिथि मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविन्द्र जगन्नाथए उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रामनाईक उत्तराखंड की राज्यपाल बेबीरानी मौर्यए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथए विदेश मंत्री सुषमा स्वराजए विदेश राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह भी उपस्थित थे। समारोह में स्वागत भाषण श्रीमती स्वराज ने और धन्यवाद ज्ञापन जनरल सिंह ने किया।

कोविंद ने अपने संबोधन में प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन को भारत एवं विश्व के बीच एक जीवंत सेतु करार देते हुए कहा कि यह कई मायनों में देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसके लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया और कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका से लौटने की याद में शुरू किया गया था। उन्होंने कहा कि बीते कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कठिन परिश्रम करके 3ण्1 करोड़ भारतवंशियों को भारत से जोड़ा है। विभिन्न देशों में संकट में फंसे 90 हजार भारतीयों सुरक्षित निकाला गया है। उनके नेतृत्व में भारत ने आर्थिक प्रगति की है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत प्रवासी भारतीय समुदाय द्वारा भारत को प्रोत्साहन देने एवं भारतीय समुदाय के कल्याण के लिए किये गये काम का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि भारतवंशी समुदाय विश्व का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है और इसका इतिहास समृद्ध एवं विविधता पूर्ण है। पहले हमारे पूर्वज दक्षिण पूर्व एशिया में व्यापारी एवं भिक्षु के रूप में गये थे। बाद में बहुत से लोग वहां बस गये और रेशम मार्ग के आसपास व्यापार एवं उद्योग करने लगे। एक सदी के बाद लाखों लोगों ने सात समन्दर पार करके विभिन्न देशों ने अपना आशियाना बनाया। भारतीयों के दुनिया में फैलने के बाद विश्व बदल गया है। प्रवासी भारतीय विश्व में नेतृत्व कारी भूमिका में हैं और इसी के साथ वह अपनी सांस्कृतिक विविधता एवं मूल्यों को भी अपनाये हुए हैं। उन्हें एक समुदाय के रूप में अपनी ताकत को संजो कर रखना है।

उन्होंने कहा कि भारतवंशियों की सफलता और परिश्रम ने एक उदाहरण पेश किया है। वे विदेशों में भारत का चेहरा एवं पहचान हैं। हमें उन पर आैर उनकी उपलब्धियों पर गर्व है। लेकिन उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान यह है कि वे मूल्यों के लिए जी रहे हैं और उसी से वह अंदर से भारतीय बने हुए हैं।  कोविंद ने कहा कि भारत आज एक अरब विचारों और अवसरों की भूमि है। उन्होंने प्रवासी भारतीयों से भारत की विकास यात्रा में साझीदार बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हम प्रवासी भारतीयों की दूसरे देशों के लोगों को भारत भ्रमण के लिए प्रेरित करने की शक्ति को पहचानते हैं। वे ज्ञान साझा करने आयें या सैलानी बन कर आयें। हम प्रतिभा पलायन को प्रतिभा वापसी के रूप में बदलना चाहते हैं। उन्होंने मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्री जगन्नाथ को प्रवासी भारतीयों के लिए अनुकरणीय उदाहरण करार दिया।