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सरकारी स्कूल की अध्यापिका ने 40 नट जाति के बच्चों को किया शिक्षित

शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले की एक सरकारी स्कूल की अध्यापिका “सीता” ने जातिवादी प्रथा को तोड़ते हुए सड़कों पर कलाबाजी करने वाले नट जाति के 40 बच्चों को भिक्षा मांगने के धंधे को छुड़वाकर उन्हें शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़कर एक मिसाल कायम की है।

शाहजहांपुर के थाना जलालाबाद क्षेत्र के बझेड़ा गांव में स्थित प्राइमरी स्कूल की अध्यापिका सीता त्रिवेदी ने यूनीवार्ता को बताया कि 2019 से वह बझेड़ा प्राइमरी स्कूल में अध्यापिका है। उन्हें बाल गणना का काम दिया गया जब वह गांव में पहुंची तो लोगों ने उनसे कहा कि उधर मत जाना वहां कलाबाजों की बस्ती है। इसके बाद जब वह इस बस्ती में पहुंची तो उन्होंने पढ़ने वाले बच्चों के बारे में पूछा तो महिलाओं ने बताया कि उनकी बस्ती से कोई बच्चा नहीं पढ़ता है। कारण पूछने व शिक्षा का महत्व बताने पर महिलाओं ने उनका उपहास उड़ाते हुए कहा कि यहां कितनी मास्टरनी आई और चली गई आप भी अपना काम करो जाकर।

सीता ने बताया कि वह कई घरों में गई ज्यादातर घरों में उनसे बात नहीं की गई कुछ लोगो ने बात की तो कहा कि हम लोग मांगते खाते हैं। हमारे बच्चे कैसे पढ़ेंगे वह भी तो मांगने सुबह ही निकल जाते हैं इसके बाद उन्होंने एक-एक घर में जाकर शिक्षा का महत्व बताया। शिक्षित होकर अधिकारी एवं सफल उद्योगपति बनने की तमाम कहानी सुनाई नतीजा यह निकला कि आज 40 बच्चे उनके विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जो बच्चे अपनी कला दिखाने व मांगने चले जाते हैं उन्हें वह विद्यालय समय के बाद 2 घंटे पढ़ाती हैं। इसी बीच विद्यालय में बनने वाले मध्याहन भोजन में कलाबाज नट जाति के बच्चों के साथ अन्य जातियों के बच्चों ने भोजन करना बंद कर दिया। इसके बाद उन्होंने छात्रों के परिजनों को बुलाकर जाति धर्म के इस भेदभाव को खत्म किया नतीजा सभी बच्चे मध्याहन भोजन एक साथ करते हैं।

सीता ने बताया कि उन्होंने बच्चों को गर्म कपड़े कापी किताबें अपने पास से खरीद कर दी हैं क्योंकि उनके अभिभावकों के पास पैसे नहीं है इसके अलावा बच्चों को शिक्षा की और प्रोत्साहित करने के लिए वह रोजाना बिस्किट तथा टॉफी भी बच्चों को बांटने लगी। वह बताती है कि जब वह इन बच्चों को शिक्षा हेतु प्रेरित कर रही थी तब इन उन्हीं के साथी आदि ने उन्हें पागल तक की संज्ञा दे डाली।

जिलाधिकारी उमेश प्रताप सिंह ने यूनीवार्ता को बताया कि अध्यापिका सीता का यह प्रयास काफी सराहनीय है। उन्होंने 40 बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा है। यही बच्चे समाज हित में आगे बढ़ेंगे और शिक्षित होंगे। इस प्रयास से जातिगत आधारित जो कुरीतियां थी वह भी दूर हुई है। सभी बच्चे आपस में सामन्जस्य बनाकर विद्यालय में ही मध्याहन भोजन कर रहे हैं।

श्री सिंह ने कहा कि अध्यापिका के इस प्रयास से सामाजिक भावनात्मक तरीके से बच्चों में पनपने वाली कटुता के साथ-साथ अन्य प्रभावों को भी खत्म किया जा रहा है। अब 40 बच्चे स्कूल में पढ़कर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं ।ऐसे में अन्य अध्यापकों को भी इसी तरह बच्चों व उनके अभिभावकों को शिक्षा का महत्व समझा कर बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा में लाना चाहिए।

बेसिक शिक्षा अधिकारी रणवीर सिंह ने बताया कि हमारे संज्ञान में जब यह विद्यालय आया, तब हम स्वयं खंड शिक्षा अधिकारी सुनील कुमार के साथ विद्यालय पहुंचे और मामले की पुष्टि की । विद्यालय में 40 कलाबाजी करने वाले नट जाति के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं तथा 40 तक के पहाड़े व फर्राटेदार अंग्रेजी बोल रहे हैं। वह बताते हैं कि बच्चों के अंदर शिक्षा प्राप्त करने की ललक उन्होंने देखी है।उन्होंने बताया कि हमारी अध्यापिका का इस कार्य में लोगों ने मजाक भी बनाया परंतु वह निराश नहीं हुई आज उसी का प्रतिफल है कि बच्चे और उनके अभिभावक दोनों खुश हैं।