जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच खींचतान ऐसे समय में शुरु हुई है जब देश के 24 उच्च न्यायालयों में करीब 397 जजों के पद रिक्त पड़े हैं।
अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इन रिक्तियों को भरने के लिए पुराने कॉलेजियम सिस्टम के तहत होगी या फिर जैसा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस सिस्टम में सुधार के बाद नियुक्तियां होंगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सभी हाईकोर्ट्स से जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक देश के सभी हाईकोर्ट्स में जजों के 1017 पोस्ट में से 397 पद खाली हैं। नियुक्तियों के अभाव में देश की अदालतों में लाखों केस पेंडिंग पड़े हैं। वहीं यूपी की इलाहाबाद हाईकोर्ट में महज 75 जज ही पूरी कोर्ट का काम देख रहे हैं, जबकि यहां 160 जजों की जरूरत है।
कुछ ऐसा ही हाल कर्नाटक और राजस्थान हाईकोर्ट का भी है। यहां भी जजों की करीब आधी सीटें खाली हैं। इनके अलावा, सात हाईकोर्ट ऐेसे हैं जहां खाली पदों की संख्या 40 फीसदी से भी ज्यादा है। इसमें गुजरात, आंध्र प्रदेेश और मध्य प्रदेश शामिल हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट में 33 पद खाली है, पंजाब-हरियाणा में भी इतने ही जजों की जरूरत है और मद्रास हाईकोर्ट को 23 जजों की जरुरत है।
वहीं हैरानी की बात यह है कि देश के सिक्किम, मेघायलय और त्रिपुरा ही ऐसे राज्य हैं, जहां जजों के सभी पद भरे हुए हैं। हालांकि, यहां पर जजों की जरूरत ही 3-4 है। इतना ही नहीं बॉम्बे, आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, पटना, पंजाब व हरियाणा, राजस्थान और गुवाहाटी हाईकोर्ट में एक्टिंग चीफ जस्टिस के जरिए काम चलाया जा रहा है।