सरकार किसानों की आय दोगुना करने के लिए कटिबद्ध रूशाही
June 15, 2019
लखनऊ, उत्तर प्रदेश के कृषिए कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री सूर्यप्रताप शाही नेे कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए कटिबद्ध है । शाही शुक्रवार को यहां कृषि अनुसंधान परिषदए भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान और उत्तर प्रदेश एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साईंसेज के संयुक्त तत्वाधान में कृषकों की आय में अभिवृद्धि के लिए प्राथमिकताएं एवं रणनीति विषय पर आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि देश का 20 प्रतिशत खाद्यान्न प्रदेश में उत्पादन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के हितों के लिए अनेक योजनाएं चला रही है। उन्होंने वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि उनके द्वारा विकसित प्रजातियों एवं तकनीकों से प्रदेश आत्मनिर्भर हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में केवल 600.700 मिमीण् तक वर्षा हो रही है वहीं इसकी अवधि भी कम हो रही है अतः वैज्ञानिकों को कम समय तथा कम जल उपयोग वाली प्रजातियों को विकसित किया जाना होगा जिस के लिए उपकार को कृषि विश्वविद्यालयोंएकेण्वीण्केण् से समन्वय स्थापित करते हुए शोध किया जाना चाहिए।
शाही ने कहा कि डीण्बीण्टीण् के माध्यम से कृषकों को लाभ दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों को स्वायल हेल्थ कार्ड दिये गये हैं जिसमें लिखे हुए आंकड़ों को कृषकों को स्पष्ट रूप से समझाये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ कृषकाें को दिये जाने के जिए सरकार की कटिबद्धता दर्शायी। इस अवसर पर श्री शाही ने कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले चयनित कृषि वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया। सम्मानित वैज्ञानिकों में डा0 ए0के0 मिश्राए भूतपूर्व विभागाध्यक्षए क्राॅप साइंसएसीआईएसएचए लखनऊए डा0 समीर कुमार विश्वासए प्रो0ए डिपार्टमेंट ऑफ पैथोलाॅजीए सीएसएए कानपुरए डा0 अमरीष चन्द्राए प्रधान वैज्ञानिकए आईआईएसआरए लखनऊए अतुल यादवए कृविवि अयोध्या तथा डा0 संजीव कुमारए प्रधान वैज्ञानिकए आईआईएसआरए डा0 राजेश कुमारए प्रधान वैज्ञानिकए आईआईवीआरए वाराणसीए डा0 राजेश कुमारए प्रधान वैज्ञानिकए आईआईएसआर लखनऊ है।
इस अवसर पर रणवेन्द्र प्रताप सिंहए कृषि राज्य मंत्रीएने बताया कि सरकार द्वारा 5ण्1 प्रतिशत विकास दर कृषि के लिये रखी गयी है। वर्ष 2022 तक कृषकों की आय को दोगुना करने के लिये सरकार कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि केवल कृषि से ही कृषकों की आय दोगुनी नहीं की जा सकती। प्रदेश की जोतें छोटी हैं जिससे कृषकों को अधिक लाभ नहीं हो पा रहा है। उन्होने आय बढ़ाने के लिए पशुओ की नस्ल सुधार कर पशुधन बढ़ाने तथा बकरी पालन मुर्गी पालन व बतख पालन पर जोर दिया।
उन्होंने रासायनिक खाद कीटनाशकों के प्रयोग से आने वाले पर्यावरर्णीय तथा मानव में हो रही समस्याओं से सचेत करते हुए जैविक खेती करने पर बल दिया। उन्होने कहा कि गाय पालन कर उसके मूत्र व गोबर का उपयोग कृषि में करके कम लागत में अधिक उत्पादन दिया जा सकता है। सेमिनार में प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकए सीण्एसण्आईण्आरण् संस्थानों के वैज्ञानिकए कृषिए पशुपालनए उद्यानए मत्स्यए रेशमए बीज प्रमाणीकरण संस्थाए बीज विकास निगमए राज्य प्रबन्ध संस्थानए यूण्पीण् एग्रो के निदेशकगण तथा प्रगतिशील कृषकों द्वारा भाग लिया गया। संगोष्ठी में देश एवं प्रदेश के कृषि एवं तत्संबंधी विशेषज्ञों द्वारा कृषकों की आय बढ़ाने हेतु भविष्य के लिए रणनीति बनाने पर चर्चा की गयी।
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में महानिदेशकए उपकार डा0 बिजेन्द्र सिंह के द्वारा परिषद के विगत 30 वर्षों के कार्यों का संक्षिप्त विवरण दिया गया। उन्होंने बताया कि परिषद की स्थापना 14 जूनए 1989 को मूलतः राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों एवं राज्य प्रशासन के विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिये की गयी। वर्ष 2001 में कृषि विश्वविद्यालयों के लिए राज्य के कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान के दायित्व के लिए उपकार को नोडल एजेन्सी नामित किया गया है एलेकिन यह संस्था विगत वर्षों में नोडल एजेंसी के रूप में आशातीत कार्य नहीं कर सकी हैए इसे शासन तथा कृषि विश्वविद्यालयों के सहयोग से इसके उद्देश्यों के अनुरूप गति दी जा सकती है।
उन्होंने परिषद द्वारा कार्यान्वित करायी गयी ऊसर भूमि सुधार परियोजना तथा कृषि विविधीकरण परियोजना का उल्लेख किया जिनकी संस्तुतियों का प्रदेश के कृषक ले रहे है। परिषद द्वारा शोध निधि तथा रिवाल्विंग फंड द्वारा वित्त पोषित परियोजनाओं पर प्रकाश डालते हुए महानिदेशक द्वारा भविष्य की शोध प्राथमिकताओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि प्रदेश सरकार की प्राथमिकता के अनुरूप गन्ने में एथनाॅल की रिकवरी के लिये प्राथमिकता रखी गयी है। उक्त के अतिरिक्त अन्य प्राथमिकताएं परिषद द्वारा विज्ञापित की गयी हैं जिन पर प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों एवं शोध संस्थानों से परियोजनाएं प्राप्त कर शोध कार्य किया जायेगा।
इस मौके पर भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा0 ए डी पाठक ने संस्थान द्वारा किसानों की आय दोगुनी किये जाने के संबंध में किये गये शोध का संक्षिप्त विवरण दिया। उन्होंने कहा कि ऐसी तकनीक विकसित की गयी है जिसके माध्यम से गन्ना की उत्पादकता 70 टन प्रति हेक्टेयर तक पहुॅंच गयी है। सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय मेरठ के कुलपति डा0 गया प्रसाद ने किसानों की आय बढ़ाने में चुनौतियों को चिन्हांकित कर उन पर शोध कार्य कराने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कृषि मौसम पर निर्भर है तथा मौसम में आकस्मिकता के कारण कृषि प्रभावित हो रही है। ऐसे में कृषि विविधीकरण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने भू.जल स्तर के दिन.प्रतिदिन गिरने पर चिंता व्यक्त करते हुए भू.जल रिचार्ज पर विशेष ध्यान देने पर बल दिया।
प्रोटेक्शन ऑफ प्लान्ट वेराइटीज एण्ड फार्मर्स राइट्सए अथाॅरिटी के नई दिल्ली के अध्यक्ष डा0 के0वी0 प्रभु ने उपकार के कार्यों की सराहना करते हुए प्रदेश सरकार से 100 करोड़ उपकार को शोध कार्यों के लिये देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि जैविक खेती के लिये प्रजातियाॅं तथा तकनीकी विकसित किये जाने की आवश्यकता है। उक्त अवसर पर उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष कैप्टन विकास गुप्ता ;सेण्निण्द्ध ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में परिषद को 30वें स्थापना दिवस की बधाई देेते हुए कहा कि परिषद सीमित वित्तीय संसाधनों में प्रदेश में शोध एवं समन्वय का कार्य कर रही है। परिषद द्वारा विगत 30 वर्षों में किये गये शोध कार्यों से प्रदेश के कृषक लाभान्वित हो रहे हैं।
कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग सचिव बीण् राम शास्त्री ने उपकार को उपयोगी बताते हुए कहा कि उपकार का मुख्य कार्य कृषि विश्वविद्यालयोंए केण्वीण्केण् तथा शासन के मध्य समन्वय स्थापित करना है। उनके द्वारा यह विचार दिया गया कि उपकार के वैज्ञानिकों को कृषि विज्ञान केन्द्रों के लिए प्रभारी नामित करते हुए वहाॅ के कार्यो का समन्वयए अनुश्रवण व मूल्यांकन किया जाय। उद्घाटन सत्र के विशिष्ट अतिथि डा0 पंजाब सिंहए पूर्व महानिदेशकए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषदए नई दिल्ली द्वारा सभी पोषक तत्वों व प्राकृतिक संसाधनों के निरन्तर कम होने पर चिंता व्यक्त की। उनके द्वारा सभी शोध संस्थानोंए कृषि विश्वविद्यालयों एवं प्रदेश के तत्संबंधी विभागों को समन्वय स्थापित कर कार्य करने में उपकार की भूमिका को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया।
सेमिनार में डाण् केण्वीण् प्रभू ने पौधों की विविधता संरक्षणए किसानों के अधिकार और लाभ साझा करने के लिए अपने विचार व्यक्त किए। डाण् सुरेश पालए निदेशकए एनण्आईण्एण्ईण्पीण्ए नई दिल्ली द्वारा कृषि आय दोगुनी करने के लिए कृषि विकास में तेजी लाने के लिए अपने विचार व्यक्त किये। डाण् आरण्सीण् श्रीवास्तवए कुलपतिए राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालयए बिहारए द्वारा कृषि संकट रणनीतियाॅ और आगे की राह विषयक व्याख्यान दिया। डा. आरण्के. सिंह, निदेशक, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थानए बरेली ने प्रदेश में किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में पशुधन क्षेत्र की क्षमता पर अपने विचार व्यक्त किये गये। डा. एसण्केण् चतुर्वेदीए डीनए रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालयए झांसी द्वारा कृषकों की आय में अभिवृद्धि के लिए बुंदेलखंड क्षेत्र में कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार संबंधी प्रस्तुतीकरण किया गया।