मथुरा, तीन कृषि बिल से नाराज किसान आन्दोलन को लेकर केन्द्र सरकार के रवैये से नाराज राष्ट्रीय किसान मंच के अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने आज कहा कि केन्द्र सरकार किसानों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है । जो किसान सरकार बनाना जानता है वह सरकार को बेदखल भी कर सकता है ।
उन्होंने आज यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार किसानों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है 1 उसे यह नही पता कि अपने इस रवैये की भारी कीमत चुकानी पडेगी। उनका कहना था कि केन्द्र सरकार आन्दोलन कर रहे किसानों को हताश करने के लिए मामले को जानबूझकर लटका रही है पर किसान का मनोबल टूटने वाला नहीं है।
किसान अपनी मांग मनवाकर ही रहेगा। सरकार को अन्नदाता की मांग पर गंभीरतापूर्वक विचार कर उसे पूरा करना चाहिए। यह देश के किसानों के हितों से जुडा सवाल है।
किसानों के वोट से चुनकर आने वालों द्वारा किसानों को नहीं सुनना तथा उन्हे कोर्ट जाने के लिए कहना लोकतंत्र का भी अपमान है। सरकार को इस विषय को प्रतिष्ठा का सवाल बनाने से बचना चाहिए। लोकतंत्र में इस प्रकार कर अडियल रवैया उचित नहीं है।
सरकार के रवैये के कारण ही आज अन्नदाता कडाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हो रहे हैं। इसके बावजूद एक वर्ग के द्वारा उन पर तरह तरह आरोप लगाए जा रहे हैं। हास्यासपद तो यह है कि खेती किसानी से दूर दूर तक नाता नहीं रखने वाले भी इन कानूनों की पैरोकारी कर रहे हैं। जब किसान कह रहे हैं कि नये कृषि कानून उनके हित के खिलाफ हैं तो सरकार जबर्दस्ती उन पर इन कानूनों को क्यों थोप रही है।
वैसे भी सरकार भी किसान कानूनों के लाभ गिनाने व समझाने में नाकाम रही है। उन्होंने सरकारी नुमाइन्दों से पूछा कि आखिर किन लोगों के हितों के लिए नए कानून थोपकर किसानों के हितों की बलि दी जा रही है और सरकार किन लोगों के दवाब के चलते बिलों को वापस नही ले पा रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री से सीधे मामले में दखल देकर किसानों को न्याय दिलाने की भी अपील की है।