नयी दिल्ली, सरकार ने सरकारी घर के किराये, बिजली के बिल जैसे बकाये का भुगतान ना करने वाले उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से रोकने के चुनाव आयोग के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। चुनाव आयोग ने विधि मंत्रालय को पत्र लिखकर उन लोगों के लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की अपील की जो सार्वजनिक सुविधाओं के बकाये का पूरा भुगतान नहीं करते।
चुनाव आयोग के अनुसार इस तरह के उम्मीदवारों पर रोक लगाने के लिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के चैप्टर-3 में संशोधन करना होगा जो चुनाव अपराधों से संबंधित है। ‘‘सार्वजनिक सेवाओं के बकाये के भुगतान में चूक के आधार पर’’ अयोग्यता के लिए एक नया खंड जोड़ना होगा।
लेकिन एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार मई में चुनाव आयोग को भेजे संक्षिप्त जवाब में मंत्रालय ने कहा कि प्रस्ताव ‘‘की जरूरत नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि विधि मंत्रालय को लगता है कि रोक की जरूरत नहीं होगी क्योंकि किसी उम्मीदवार का नो-ड्यूज सर्टिफिकेट या अनापत्ति प्रमाणपत्र देने वाला प्राधिकरण पक्षपातपूर्ण हो सकता है और ऐसा भी हो सकता है कि वे उसे जरूरी दस्तावेज ना दे।
मंत्रालय को यह भी लगता है कि बकाये के विवाद से संबंधित मामलों में मामला अदालत में ले जाया जा सकता है और उसके समाधान में समय लग सकता है। इस तरह के मामलों में नो-ड्यूज सर्टिफिकेट वाले उम्मीदवार को नामंजूर करने की जरूरत नहीं होगी।
चुनाव आयोग के चुनाव कानून में बदलाव की मांग से संबंधित कदम जुलाई, 2015 को आए दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश का नतीजा है जिसमें चुनाव आयोग से उक्त बकाये का जल्द भुगतान सुनिश्चित करने के लिए उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर किसी तरह का अवरोध लगाने की संभावना पर विचार करने को कहा गया था।