सरकार ने प्रवासी भारतीय सेवा केंद्रों के संचालन पर संसद में दी जानकारी

नई दिल्ली, विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने संसद में बताया कि वर्तमान में विदेशों में चार प्रवासी भारतीय सेवा केंद्र (पीबीएसके) कार्यरत हैं, जिनमें कुआलालंपुर (मलेशिया), दुबई (यूएई), जेद्दा और रियाद (सऊदी अरब) शामिल हैं। वहीं भारत की बात करें तो दिल्ली में एक पीबीएसके संचालित होता है, जिसे कोच्चि, हैदराबाद, चेन्नई, लखनऊ, पटना और चंडीगढ़ में छह क्षेत्रीय पीबीएसके द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
हाल ही में लोकसभा सत्र के दौरान भाजपा सांसद अरविंद धर्मपुरी ने पीबीएसके के कामकाज और भारतीय श्रमिकों, विशेष रूप से खाड़ी देशों में प्रवास करने वाले श्रमिकों को उनके अधिकारों और सुरक्षा के बारे में जागरूक करने के सरकार के प्रयासों के बारे में एक प्रश्न किया था। सिंह ने उस प्रश्न का उत्तर देते हुए स्पष्ट किया कि विदेशी पीबीएसके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं का व्यय एक साधन-परीक्षण प्रणाली पर आधारित भारतीय समुदाय कल्याण कोष (आईसीडब्ल्यूएफ) के माध्यम से पूरा किया जाता है। विदेशों में पीबीएसके के लिए विशेष रूप से कोई अलग बजट आवंटित नहीं किया जाता है।
सुरक्षित और कानूनी प्रवास सुनिश्चित करने के लिए, राज्य मंत्री सिंह ने ई-माइग्रेट पोर्टल की भूमिका पर प्रकाश डाला, जो विदेशी नियोक्ताओं, पंजीकृत भर्ती एजेंटों और संभावित प्रवासियों को एक ही डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर एक साथ लाता है। मंत्रालय एक समर्पित हेल्पलाइन भी चलाता है और धोखाधड़ी वाली भर्ती एजेंसियों और फर्जी नौकरी के प्रस्तावों के खिलाफ चेतावनी देने के लिए नियमित रूप से सलाह जारी करता है।
मंत्री ने आगे बताया कि सरकार ने प्रवासी भारतीय बीमा योजना (पीबीबीवाई) और प्रस्थान-पूर्व अभिविन्यास एवं प्रशिक्षण (पीडीओटी) जैसी पहल शुरू की हैं ताकि श्रमिकों को विदेशी रोज़गार के लिए तैयार किया जा सके। पीडीओटी का उद्देश्य सॉफ्ट स्किल्स को बढ़ाना और श्रमिकों को उनके गंतव्य देशों की भाषा, संस्कृति, कानूनों और कार्यस्थल के मानदंडों से परिचित कराना है। एक अतिरिक्त सुरक्षा उपाय के रूप में, केवल सरकारी भर्ती एजेंसियों को ही विशेष रूप से खाड़ी देशों में रोज़गार के लिए, उत्प्रवास जांच आवश्यक (ईसीआर) श्रेणी के तहत महिला श्रमिकों की भर्ती करने का अधिकार है।
राज्य मंत्री सिंह ने यह कहते हुए निष्कर्ष निकाला कि भारतीय मिशन फंसे हुए नागरिकों की सहायता के लिए हर संभव प्रयास करते हैं, चाहे वह वेतन का भुगतान न करने, आपातकालीन छुट्टी से इनकार करने, या पासपोर्ट रोके जाने के कारण हो और वे निःशुल्क आपातकालीन प्रमाण पत्र जारी करके उनकी वापसी में सहायता भी करते हैं।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)