सरकार लोगों को उनके बुनियादी अधिकारों से वंचित नही कर सकती-प्रधान न्यायाधीश

cji ts thakurकटक,  सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश टी. एस. ठाकुर ने  एक बार फिर न्यायाधीशों की कमी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार के लिए यह मुमकिन नहीं है कि वह लोगों को उनके बुनियादी अधिकारों से वंचित कर सके। इन अधिकारों में न्याय पाने का हक भी शामिल है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका अभी जिन चुनौतियों का सामना कर रही है, उनमें न्यायाधीशों की कमी प्रमुख है।

प्रधान न्यायाधीश ठाकुर उड़ीसा उच्च न्यायालय की सर्किट पीठ के शताब्दी समारोह के उद्घाटन के बाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, न्याय पाना एक बुनियादी अधिकार है और सरकार जनता को उनके बुनियादी अधिकारों से वंचित नहीं कर सकती। उन्होंने कहा, भारतीय विधि आयोग ने 1987 में तब के लंबित मामलों को देखते हुए 44 हजार न्यायाधीशों का सुझाव दिया था। देश में मौजूदा समय में मात्र 18 हजार न्यायाधीश हैं। उन्होंने कहा, इस क्रम में 30 साल बीत गए। हम लोग कम संख्या बल के साथ काम जारी रखे हुए हैं। यदि आप भारत की आबादी के हिसाब से देखें तो हमें लंबित मामलों को निपटाने के लिए 70 हजार न्यायाधीश चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्र, उड़ीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विनीत सरण और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के खाली पद भरने का मुद्दा केंद्र के समक्ष उठाया है। पटनायक ने कहा, सरकार ने राज्य में अदालतों के संरचनागत सुविधाओं के विकास के लिए सभी सहायता और वित्तीय सहयोग मुहैया कराई है। हम लोगों ने ओडिशा में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों की तेजी से सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए 30 प्रथम श्रेणी के न्यायिक दंडाधिकारी की अदालतें स्थापित की हैं। उन्होंने कहा कि अन्य 26 अतिरिक्त न्यायिक दंडाधिकारी की अदालतें दूरदराज और भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण इलाकों में स्थापित की जाएंगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button