
मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को यहां शाहीबाग में सरदार पटेल स्मारक परिसर में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन के लिए बने विशाल सभागार में अधिवेशन की पहले दिन आज पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था कांग्रेस कार्य समिति सीडब्ल्यूसी की विस्तारित बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़कर देश के बुनियादी मसलों से ध्यान भटकाने का आज काम हो रहा है और सीमित लोगों द्वारा देश के संसाधनों पर क़ब्ज़ा करते हुए शासन को नियंत्रित करने का काम हो रहा है। उनका कहना था कि सरदार पटेल कांग्रेस की विरासत है और उनके दिखाए रास्ते पर चलकर कांग्रेस को मजबूत करने का काम किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “गुजरात की धरती पर पैदा हुई तीन महान हस्तियों ने कांग्रेस का नाम दुनिया भर में रोशन किया है। इनमें दादा भाई नौरोजी, महात्मा गांधी और सरदार वल्लभ भाई पटेल- ये सभी हमारी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे। गांधी जी ने हमें अन्याय के खिलाफ सत्य और अहिंसा का हथियार दिया। ये इतना मजबूत वैचारिक हथियार है कि इसके सामने कोई ताकत टिक नहीं सकती। गांधीजी के नेतृत्व में चम्पारण सत्याग्रह सफल रहा और उसने गांव- गांव में कांग्रेस की जड़ों को जमाने में ठीक वैसे ही मदद की जैसे गुजरात में सरदार पटेल के नेतृत्व में बारडोली सत्याग्रह चला।”
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा , “इस साल 31 अक्टूबर को सरदार पटेलज की 150वीं जयंती है जिसे हम देश भर में उल्लास से मनाएँगे। पंडित नेहरू उन्हें ‘भारत की एकता का संस्थापक’ कहते थे। जब सरदार पटेल कांग्रेस अध्यक्ष थे तो उनके नेतृत्व में कराची कांग्रेस अधिवेशन में मौलिक अधिकारों पर जो प्रस्ताव पारित हुए वह भारतीय संविधान की आत्मा है। सरदार पटेल संविधान सभा की महत्वपूर्ण ‘मूल अधिकारों, अल्पसंख्यकों तथा आदिवासी एरिया समिति के अध्यक्ष थे।”
उन्होंने कहा, “पिछले कई सालों से कई राष्ट्रीय नायकों को लेकर एक सोचा समझा षड्यंत्र चलाया जा रहा है और 140 सालों से देश में सेवा और संघर्ष के गौरवशाली इतिहास वाली कांग्रेस पार्टी के खिलाफ वातावरण बनाने का काम वे लोग कर रहे हैं जिनके पास अपनी उपलब्धियां दिखाने को कुछ भी नहीं है। आजादी को लड़ाई में अपना योगदान बताने को कुछ भी नहीं है। वे सरदार पटेल और पंडित नेहरू के संबंधों को ऐसा दिखाने का षडयंत्र करते हैं जैसे दोनों नायक एक दूसरे के खिलाफ थे। जबकि सच्चाई ये है कि वो एक सिक्के के दो पहलू थे। तमाम घटनाएं और दस्तावेज इनके मधुर संबंधों की गवाह हैं।”
नेहरू और पटेल के बीच रिश्ते पब्लिक रिकॉर्ड में होने का दावा करते हुए उन्होंने कहा , “दोनों के बीच लगभग रोज़पत्र-व्यवहार होता था। नेहरूजी तमाम विषयों में उनकी सलाह लेते थे। पटेल साहब के प्रति नेहरूजी के मन में अपार आदर था। उनको कुछ सलाह लेनी होती तो वे खुद पटेलजी के घर जाते थे। पटेल जी की सुविधा के लिए सीडब्ल्यूसी की बैठकें उनके निवास पर रखी जाती थीं। बाबा साहेब अम्बेडकर को संविधान सभा का सदस्य बनाने में गाँधी जी और सरदार पटेल की अहम भूमिका थी।”
डा. अम्बेडकर ने ख़ुद 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा के अपने अंतिम भाषण में कहा था कि कांग्रेस पार्टी के सहयोग के बिना संविधान नहीं बन सकता था। लेकिन जब संविधान बना तो आरएसएस ने गाँधी जी, पंडित नेहरु, डॉ० अम्बेडकर और कांग्रेस की बहुत आलोचना की। मोदी सरकार ने संसद परिसर में गांधीजी और बाबा साहेब की भव्य मूर्ति को उठा कर एक कोने में डाल कर उनका अपमान किया। गृहमंत्री ने राज्यसभा में ये कह कर बाबा साहेब का मजाक उड़ाया कि आप लोग अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर कहते हैं, अगर इतना नाम भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “कांग्रेस पार्टी संविधान और संविधान निर्माताओं दोनों का सम्मान करती है और उसकी रक्षा करना जानती है। सरदार पटेल हमारे दिलों में बसे हैं, विचारों में बसे हैं। हम उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। सीडब्ल्यूसी की यह बैठक हमने अहमदाबाद में ‘ सरदार पटेल स्मारक’ में इसी सोच से रखी है। हम उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। आज भाजपा और संघ परिवार के लोग गाँधी जी से जुड़े संस्थानों पर कब्जा कर उसे उन्हीं के वैचारिक विरोधियों को सौंप रहे है। वाराणसी में भी सर्व सेवा संघ पर इन्होने कब्जा कर लिया है।”