सर्दी में दिल्ली में इस वजह सें बढ़ता है प्रदूषण – सर्वेक्षण

नयी दिल्ली ,सरकार द्वारा कदम उठाये जाने के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के स्तर में कमी नहीं आने का हवाला देते हुये एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के प्रदूषण में स्थानीय कारक जहां मात्र 36 फीसदी रहता है वहीं वाह्य कारकों की भागीदारी 64 फीसदी होती है।

इ एनर्जी एंड रिर्सोस इंस्टीट्यूट टेरी और ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसियेशन ऑफ इंडिया एआरएआई द्वारा किये गये संयुक्त सर्वेक्षण रिपोर्ट को गुरूवार को यहां जारी किया गया जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में प्रदूषण में 13 फीसदी हिस्सेदारी विदेशी कारकों की होती है। टेरी के महानिदेशक अजय माथुर ने एआरएआई अधिकारियों की मौजूदगी में रिपोर्ट जारी करते हुये कहा कि सरकार द्वारा सभी तरह के उपाय किये जाने के बावजूद राजधानी में वायु प्रदूषण औद्योगिक प्रदूषण के कारण बढ़ ही रहा है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली में पीएम 2.5 के स्तर में उद्योगों की भागीदारी जहां 30 फीसदी है वहीं ऑटोमोबाइल की भागीदारी 28 फीसदी है। धूल की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत है जबकि अन्य कारकों की भागीदारी 11 फीसदी होती है। शेष 14 प्रतिशत में बॉयोमास श्रेणी और विभिन्न उप श्रेणियां शामिल है।

रिपोर्ट में वर्ष 2030 तक पीएम 2.5 और पीएम 2.10 के स्तर को कम करने के उपाय भी सुझाये गये हैं। इसमें एनसीआर में बॉयोमास को पूरी तरह से बंद करने और इसके सथान पर ग्रामीण क्षेत्रों में रसोई गैस का उपयोग करने पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही औद्योगिक इकाइयों में फर्नेस ऑयल और कोयला के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से कम कर प्राकृतिक गैस का उपयोग बढ़ाने की सिफारिश की गयी है। रिपोर्ट में कृषि अवशेष को खेतों को जलाने काे पूरी तरह से बंद करने और इसका उपयोग बिजली आदि के उत्पादन में करने की सलाह भी दी गयी है। इसमें कहा गया है कि उद्योगोें में ठोस ईंधन के उपयोग को रोकने के लिए सख्त नियम बनाने की जरूरत है।

Related Articles

Back to top button