गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि स्वस्थ भारत अभियान, सशक्त भारत अभियान का ही हिस्सा है। इसे लेकर सभी संस्थाओं, जनप्रतिनिधियों और आमजन को सरकार के कार्यक्रमों से जुड़ना होगा। सब लोग एकसाथ सामूहिकता की भावना से जुड़ेंगे तो इसके सफल व सार्थक परिणाम आएंगे।
जिला महिला अस्पताल के सामने स्थित परिसर में रविवार को पल्स पोलियो अभियान के शुभारंभ अवसर पर श्री योगी ने रविवार को पांच बच्चों को अपने हाथ से पोलियोरोधी ड्राप पिलाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 12 वर्ष पूर्व ही पोलियो की समस्या पर समाधान प्राप्त कर लिया है। इन 12 वर्षों में पाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत कुछ देशों में पोलियो के मामले सामने आए हैं। बीमारी संक्रामक होने के नाते जब तक वायरस दुनिया से समाप्त नहीं हो जाता, खतरा बना रहता है। इसलिए पूरी दुनिया में पोलियो उन्मूलन होने तक हमें सार्थक प्रयास करते रहना होगा।
उन्होंने कहा कि पोलियो की चपेट में जो बच्चे जिंदगी भर के लिए स्थाई विकलांगता के शिकार हो जाते हैं, उनके व उनके परिवारों पर क्या बीतती होगी। इसलिए सरकार पोलियो उन्मूलन अभियान को तब तक जारी रखेगी जब तक पूरी दुनिया से यह बीमारी खत्म नहीं हो जाती।
श्री योगी ने कहा कि पल्स पोलियो अभियान के तहत प्रदेश में पांच वर्ष तक के 3.80 करोड़ बच्चों को दो बूंद जिंदगी की (पोलियोरोधी ड्राप) पिलाई जाएगी। इतने बच्चों को बीमारी से सुरक्षा कवर देने के लिए 1.10 लाख बूथ बनाए गए हैं, साथ ही 76 हजार सचल टीमें लगाई गई हैं। जो नई पीढ़ी हमारे बीच आ रही है, हम इस अभियान को सफल बनाकर उसका बचाव करने में सक्षम होंगे।
उन्होने कहा कि पल्स पोलियो अभियान के अलावा बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए मिशन इंद्रधनुष भी चलाया जाता है। मासूमों को पूरा टीकाकरण कवरेज समय पर देना होगा। यह हरेक बच्चे का अधिकार है, तो हम सभी का दायित्व भी। सीएम योगी ने धर्मगुरुओं, जनप्रतिनिधियों, संस्थाओं एवं जागरूक लोगों से अपील की कि वे पल्स पोलियो अभियान में अपना योगदान दें।
सीएम योगी ने इंसेफलाइटिस पर प्रभावी नियंत्रण का श्रेय अंतर विभागीय समन्वयन की ताकत को देते हुए पल्स पोलियो अभियान व अन्य कार्यक्रमों में भी इसकी आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में 40 वर्षों में 50 हजार मासूम इंसेफलाइटिस की चपेट में आकर असमय काल कवलित हो गए थे। हमने 4 वर्ष में इसके उपचार व संपूर्ण उन्मूलन की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए। इंसेफलाइटिस से होने वाली मौत के आंकड़े 95 फीसद तक नियंत्रण में हैं, अब इसके संपूर्ण उन्मूलन का अवसर है। इंसेफेलाइटिस पर नकेल कसने में स्वास्थ्य विभाग समेत अन्य विभागों के सामूहिक प्रयास, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने शौचालय व मजबूत हुए हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर का बड़ा योगदान है।
उन्होने कहा कि सामूहिकता के बल पर ‘फोर टी’ (ट्रेस, टेस्ट, ट्रीट और टीकाकरण) फॉर्मूले को अपनाकर उत्तर प्रदेश वैश्विक महामारी कोरोना के प्रबंधन में पूरे देश में अग्रणी है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के दस्तक के दौरान मार्च 2020 में यूपी में आरटीपीसीआर जांच की सुविधा नहीं थी जबकि आज प्रदेश के हर जिले में आरटीपीसीआर लैब है। आज प्रतिदिन चार लाख आरटीपीसीआर जांच की क्षमता है। उत्तर प्रदेश सर्वाधिक जांच व वैक्सीन देने वाला राज्य है। उपचार के लिए सर्वाधिक बेड्स व सुविधाएं यूपी के पास हैं। पहले 36 जिलों के वेंटिलेटर नहीं थे, आज हर जनपद में हैं।
सीएम ने कहा कि प्रदेश में 29.60 करोड़ कोविड वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है। अब तो 12 से 14 वर्ष तक के बच्चों को भी वैक्सीन लगाई जा रही है। कोरोना पर नियंत्रण के लिए इन्होंने इसमें लगे अलग अलग विभागों के कोरोना वारियर्स की तारीफ की तो प्रबंधन में मार्गदर्शन करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुक्तकंठ से सराहना।
उन्होने कहा कि बीते पांच साल में यूपी का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर काफी मजबूत हुआ है। एक समय तक इंसेफेलाइटिस से प्रभावित पूर्वी उत्तर प्रदेश में इलाज का एकमात्र केंद्र बीआरडी मेडिकल कॉलेज ही था, वह भी जर्जर हालत में। आज बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशियलिटी सुविधा है, बाल रोग संस्थान है। गोरखपुर में एक हजार बेड्स की सुविधा वाला एम्स शुरू हो गया है। बस्ती, देवरिया, सिद्धार्थनगर में मेडिकल कॉलेज शुरू हो गए हैं। कुशीनगर में निर्माणाधीन है। महराजगंज में बनने जा रहा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों को भी मेडिकल कॉलेज की सौगात मिली है। हर जिले में मेडिकल कॉलेज बन गए हैं, बनाए जा रहे हैं या बनाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें क्षय रोग (टीबी) के उन्मूलन की दिशा में भी तेजी से काम करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए जारी वृहद अभियान में हम सभी को जुड़ना होगा। उन्होंने कहा कि आप टीबी से ग्रस्त किसी एक बच्चे को गोद लेकर और सरकारी कार्यक्रमों से उसके उपचार से जुड़कर अपना योगदान दे सकते हैं। यह एक राष्ट्रीय अभियान है। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन व अन्य संस्थाएं भी टीबी उन्मूलन की दिशा में प्रयासरत हैं।