हाल ही में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आरक्षण विरोधी टिप्पणी करने वाले गुजरात हाई कोर्ट के जज जस्टिस जे बी पारदीवाला ने शुक्रवार को अपनी टिप्पणी को हटा दिया। उन्होंने यह कमेंट पटेल आंदोलन के अगुआ हार्दिक पटेल और अन्य की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए किया था। हाई कोर्ट की एक सदस्यीय बेंच ने कहा कि याचिका पर फैसला लेने के लिए यह टिप्पणी न तो प्रासंगिक है और न ही जरूरी। गुजरात सरकार की ओर से इस टिप्पणी को हटाने से जुड़ी एप्लिकेशन पर जस्टिस पारदीवावाला ने यह आदेश दिया।
इससे पहले, पारदीवाला द्वारा आरक्षण के विरोध में कथित तौर पर की गई एक टिप्पणी को लेकर 58 राज्यसभा सांसदों ने उन पर महाभियोग चलाने का नोटिस दिया है। इससे पहले, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों से जुड़ी एक संसदीय समिति के सदस्यों ने पारदीवाला की ओर से की गई ‘आरक्षण विरोधी’ टिप्पणी की आलोचना की और उनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही की चेतावनी दी थी। एससी-एसटी पर संसद की स्थायी समिति के सदस्यों ने संसद भवन में हुई एक बैठक में जे बी पारदीवाला की टिप्पणी की निंदा की और 23 दिसंबर को बी आर अंबेडकर की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन करने का फैसला भी किया था। इस बैठक में केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान और थावरचंद गहलोत सहित कई अन्य सांसद थे।
भाजपा सांसद उदित राज ने बताया, ‘‘बैठक में न्यायाधीश की टिप्पणी की निंदा की गई और फैसला किया गया कि सांसद 23 दिसंबर को बी आर अंबेडकर की प्रतिमा के सामने विरोध प्रदर्शन करेंगे। जज ने संविधान का अपमान किया है और हम राज्यसभा में उनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही करेंगे।’’ न्यायमूर्ति पारदीवाला ने पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल के खिलाफ देशद्रोह का आरोप हटाने से इनकार करते हुए हाल ही में कहा था, ‘‘यदि कोई मुझसे दो ऐसी चीजें बताने को कहे जिसने देश को बर्बाद कर दिया है या जिसने देश को सही दिशा में प्रगति नहीं करने दी है, तो मैं कहूंगा कि ये आरक्षण और भ्रष्टाचार हैं।’