आजमगढ़, धर्म के नाम पर जहां लोग जान लेने और देने पर अमादा हैं, वहीं कुछ लोग एेसे भी है, जो साम्प्रदायिक सद्भाव की मिसाल हैं। आजमगढ़ के कौडि़या गांव के रहने वाले गुलाब यादव का परिवार हिन्दू-मुस्लिम सद्भाव की मिसाल हैं।
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रमजान के दौरान, यह हिन्दू परिवार, रात में सिर्फ इसलिए जागता है ताकि अपने मुस्लिम भाइयों को सहरी के लिए जगा सके। रात के तीन बजे जब पूरा गांव चैन की नींद सो रहा होता है तब गुलाब यादव और उनके 15 वर्षीय बेटे अभिषेक यादव जाग रहे होते हैं। ये दोनों रात एक बजे से सुबह तीन बजे तक मुस्लिम परिवारों को रमजान में सहरी और फज्र (सुबह) की नमाज के लिए जगाने का काम करते हैं।
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पिता और पुत्र टीन के कनस्तर को डंडे से पीटकर, तब तक उस दरवाजे पर रहते हैं, जब तक कि परिवार में लोग जाग न जाएं। दोनों लोग डेढ़ घंटे में पूरे गांव का चक्कर लगाते हैं। इसके बाद शुरू होता है उनका दूसरा चक्कर , ताकि कोई परिवार सहरी करने से चूक न जाए।
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गुलाब यादव को साम्प्रदायिक सद्भाव के यह संस्कार, विरासत मे मिलें हैं। गुलाब यादव के अनुसार, उनके पिता चिरकिट यादव को किसी ने सलाह दी किर मजान के दौरान, क्यों ने सुबह-सुबह मुस्लिम भाइयों को सहरी के लिए जगाने का काम करें। चिरकिट यादव को यह सलाह अच्छी लगी और तभी से भोर में मुस्लिम परिवारों को सहरी खाने के लिए जगाने का काम शुरू कर दिया।
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सत्तर के दशक में यह काम उनके पिता करते थे। साल 2008 में पिता चिरकिट यादव का निधन हो गया। तब चिरकिट के बड़े बेटे विक्रम यादव ने पिता की जिम्मेदारी ले ली। धीरे धीरे वह भी बूढ़े हो चले। इसके बाद चिरकिट के सबसे छोटे बेटे गुलाब यादव ने अपने पिता द्वारा शुरू की गई इस परंपरा को आगे बढ़ाने की ठानी। गुलाब यादव यह विरासत अब अपने बेटे अभिषेक को सौंप चुके हैं।