नई दिल्ली, सोशल मीडिया पर अक्सर सरकारें ये आरोप लगाती रहीं है कि लोग अफवाहें, झूठी खबरें आदि फैलाने के लिये इसका इस्तेमाल करतें हैं. लेकिन हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. अब तो सरकारें स्वयं अपने फायदे के लिये गलत जानकारियां फैलाने के लिये सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहीं हैं.
नितीश और तेजस्वी यादव के बीच हुई, बंद कमरे मे बातचीत, बीजेपी मे छायी मायूसी
मायावती को बहादुरी के लिए बधाई, बीजेपी अहंकार में डूबी, हम दोबारा भेजेंगे राज्यसभा-लालू यादव
यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड ने सोशल मीडिया के प्रयोग पर एक रिपोर्ट पेश की है. रिपोर्ट में बताया गया है कि पब्लिक ओपिनियन बनाने और गलत जानकारी फैलाने के लिए, दुनियाभर की सरकारें अपने पास साइबर ट्रूप्स रखती हैं, जो फेसबुक, ट्विटर जैसे दूसरे मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करती हैं.
दलित विरोधी हिंसा पर बोलने से रोकने पर, मायावती ने राज्यसभा से दिया इस्तीफा
जानिये किसने कहा- विधानसभा में विस्फोटक, न तो मैंने रखा और न ही मेरे पिता जी ने….
शोध मे, यह पाया गया है कि सरकारें घरेलू स्तर पर या बाहरी देश के लोगों के बीच ओपिनियन को आकार देने के लिए सोशल मीडिया टूल्स का इस्तेमाल करती हैं. ये रणनीति तानाशाही सरकारों के साथ-साथ लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गयी सरकारों द्वारा भी इस्तेमाल किया जाता है.
राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवारों ने, चर्चा में ला दिया कानपुर
आज गाय-बैल की जिंदगी, इंसान से कीमती हो गई है- अबू आजमी
सरकारें ओरिजनल कंटेंट कहां से बन रहा है इसे सामने ना आने देने के लिए फेक अकाउंट्स का भी सहारा लेती हैं. फेक अकाउंट्स का सहारा सरकारों के एजेंडे को प्रमोट करने के लिए किया जाता है. सरकारें सोशल मीडिया पर गुमराह करने वाली पोस्ट को वायरल करने के लिए ऑटोमेशन सॉफ्टवेयर (बोट्स) का इस्तेमाल करती हैं. जो मानव यूजर की तरह हीं प्रतीत होती हैं.
नितीश कुमार के भाजपा प्रेम से जेडीयू मे असंतोष, हो सकती है बड़ी टूट
एम.वेंकैया नायडू को, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने, क्यों बनाया उपराष्ट्रपति उम्मीदवार
सरकारों के सपोर्ट वाले ऑनलाइन ग्रुप्स की आदतें अलग-अलग होती हैं. ये फेसबुक में कमेंट करने, ट्विटर पर पोस्ट करने से लेकर व्यक्तिगत रूप से एक-एक इंसान को टारगेट करने जैसी होती हैं. सरकारों के ये आनलाईन ग्रुप मैक्सिको और रूस में पत्रकारों का शोषण तक कर चुके हैं.वहीं वियतनाम में ब्लागर्स अपनी तरह की खबरें फैलाने का काम करते हैं.
अब यूपी में हर घंटे कटेंगे 2000 मुर्गे, पहला चिकिन प्रोसेसिंग यूनिट बरेली में
शरद यादव ने सोनिया गांधी से की मुलाकात, टल सकता है महागठबंधन का संकट
ऑक्सफोर्ड के कम्प्यूटेशनल प्रोपेगेंडा रिसर्च प्रोजेक्ट की लीड ऑथर और रिसर्चर सामन्था ब्रेडशॉ का मानना है कि सोशल मीडिया, प्रोपेगेंडा कैंपेन को पहले की तुलना में ज्यादा मजबूत और संभव बनाती हैं. प्रोपेगेंडा सरकारों द्वारा उपयोग में लाया जाने वाला एक डार्क आर्ट है जिसे डिजिटल टूल्स और ज्यादा एंडवांस बनाती हैं.
यादव सेना यादवोदय की, सोशल मीडिया वर्कशाप संपन्न, बड़े अभियान की तैयारी…
यूपी में धर्म परिवर्तन करने वालों की, 15 साल बाद हुयी घर वापसी
सरकारें पिछले कुछ सालों में एक्टिविस्टों से सीख लेकर काम करने लगी हैं. जिस तरह एक्टिविस्ट जानकारी फैलाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करती हैं उसी तरह सरकारें भी करने लगी हैं.
योगी सरकार ने की, अखिलेश यादव- मुलायम सिंह के सुरक्षा काफिले मे, बड़ी कटौती
क्या है खास, सोनिया गांधी की नई मीडिया मैनेजमेंट टीम मे ?
सामन्था ब्रेडशॉ का कहना है कि मुझे नहीं लगता कि लोग ये जानते होंगे कि कितनी सरकारें उन तक पहुंचने के लिए इन साधनों का उपयोग करती हैं. ये बहुत हद तक छिपा हुआ है. इस रिपोर्ट से ये आशंका जताई जा सकती है कि भारत की राजनीतिक पार्टियां सोशल मीडिया पर लोगों को गुमराह करने के इस पैंतरे से अछूती नहीं होगी.
यूपी मे बिजली संकट को लेकर, समाजवादी पार्टी ने परिषद से किया बहिर्गमन
महिला संगठनों ने उठाई, महिला आरक्षण विधेयक पारित करने की मांग