लखनऊ, सीबीआई अदालत ने पीलीभीत फर्जी एनकाउंटर मामले में सभी अभियुक्तों को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है। अदालत ने इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर और सिपाही को अलग-अलग श्रेणी में सुनाई है। अदालत ने पीड़ित परिवारों को 14-14 लाख रुपये का मुआवजा देने का फैसला किया है जिसे अभियुक्तों के जुर्माने से दिया जायेगा। अदालत ने इंस्पेक्टर को 11 लाख, सब-इंस्पेक्टर को 7 लाख व सिपाही को 2 लाख 75 हजार रूपये जुर्माना भरने का आदेश दिया है।। इस मामले में सीबीआई अदालत ने 12 जुलाई 1992 में पीलीभीत में तीन अलग-अलग जगहों पर 11 सिख यात्रियों के फर्जी एनकाउंटर मामले में पुलिस के 47 में से 27 पुलिसवालों को दोषी पाया है। इससे पहले अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद कई पुलिसवाले लंबी छुट्टी के बाद गायब से गायब हो गए थे वहीं कुछ पुलिसवाले 25 साल तक चले ट्रायल के दौरान ही रिटायर थे। आपको बता दें कि 12 जुलाई 1991 को सिख यात्रियों की एक बस नानकमाथा, पटना साहिब, हजूर साहिब और दूसरे धार्मिक स्थानों का दर्शन करके वापस पंजाब लौट रहे थे कि रास्ते में कचलाघाट के पुल पर पुलिस ने उनकी बस रोक ली और जबरदस्ती 11 सिख पुरूषों को बस से उतरने के लिए कहा। बाद में बताया गया कि उन्हें पुलिस ने एनकाउंटर में मार दिया क्योंकि वो आतंकवादी थी और उन्होंने पुलिस पार्टी पर गोलियां चलाई थी। अपनी बात साबित करने के लिए पुलिसवालों ने अवैध हथियार भी दिखाए लेकिन जब सीबीआई जांच हुई तो पता चला कि ये सभी एनकाउंटर फर्जी थे। फांसी तक जारी रहेगी कानूनी जंग:- फर्जी मुठभेड़ में दस निर्दोष सिख तीर्थयात्रियों की हत्या के मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत के फैसले से मुख्य पैरवीकर्ता हरङ्क्षजदर ङ्क्षसह कहलो ने असंतुष्टि जाहिर की है। उन्होंने कहा कि इस फैसले के खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। दोषी पुलिसकर्मियों को फांसी की सजा दिलाने तक कानूनी जंग जारी करेगी। उन्होंने बताया कि 25 साल पहले जिले की पुलिस ने आतंकवाद खत्म करने के नाम पर जघन्य तरीके से अलग-अलग स्थानों पर ले जाकर 10 निर्दोषों की हत्या कर दी। इस अपराध की सजा फांसी से कम नहीं होनी चाहिए। सीबीआइ की विशेष अदालत ने सभी 47 दोषियों को उम्रकैद के साथ ही 14-14 लाख रुपये जुर्माने से दंडित किया है। उन्होंने कहा कि जिन परिवारों ने अपना बेटा, भाई, पति और पिता को इस फर्जी मुठभेड़ में खो दिया, उन्हें पूरा न्याय दिलाने तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। जिन पुलिसकर्मियों पर अदालत में दोष सिद्ध हो चुका, उन्हें फांसी दिलाने और इस पूरे प्रकरण में शामिल रहे तत्कालीन आइजी जोन, बरेली रेंज के डीआइजी व पुलिस अधीक्षक को सजा दिलाने के लिए भी कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।