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सीआरपीएफ की ‘मददगार’ टीम की बेमिसाल कहानी, एसे कर रही पीड़ितों की मदद

श्रीनगर,  केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 21 ‘मददगारों’ की टीम न केवल आतंकवाद से प्रभावित जम्मू कश्मीर के लोगों की मदद कर रही है बल्कि भारत के अन्य हिस्सों में भी लोगों की सहायता कर रही है। सीआरपीएफ के पुलिस महानिरीक्षक (अभियान) जुल्फिकार हसन के दिमाग की उपज 24×7 चलने वाली हेल्पलाइन नंबर 14411 है। 2016 में हिज्बुल मुजाहिदीन आतंकी समूह के पोस्टर बॉय बुरहान वानी को मार गिराए जाने के बाद कश्मीर में बड़े पैमाने पर फैली हिंसा के बाद कर्फ्यू आम बात हो गई थी।

यह पहल जनवरी 2017 को शुरू हुई थी। इसकी कई कामयाब कहानियां हैं और सीआरपीएफ तथा केंद्रीय गृह मंत्रालय से प्रशंसा मिली।कश्मीर स्थित ‘मददगार’ इकाई को कुछ दिन पहले रात में फोन आया। फोन करने वाला उत्तर कश्मीर के बारामूला शहर के बोनियार से बात कर था। वह तीन दिन के एक नवजात का पिता था। उसके नवजात को ‘ओ निगेटिकव’ रक्त चढ़ाने की जरूरत थी। सीआरपीएफ की नजदीकी इकाई को तत्काल सतर्क किया गया और जवान ‘ओ नेगेटिव’ रक्त लेकर जिला अस्पताल पहुंचे और नवजात को खून दिया गया।
कुछ दिनों बाद शिशु को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

सोपोर जिले के गुंडब्रथ के रहने वाले मुश्ताक तांत्रे गुर्दे की बीमारी से लंबे वक्त से ग्रस्त हैं। बहरहाल, 2016 में उनकी आर्थिक हालात खराब हो गई और उन्हें अपना सब-कुछ बेच कर अपनी पत्नी, मुबीना और तीन बच्चों के साथ टीन के छप्पर में स्थानांतरित होना पड़ा। तांत्रे ने कहा, ‘‘ वे (मददगार) अल्लाह के भेजे फरिश्ते हैं, जिन्होंने मुझे बचाया।’’ उनके डाइलिसिस का ख्याल बीते दो साल से सीआरपीएफ रख रही है। पश्चिम बंगाल काडर के आईपीएस अधिकारी हसन ने बताया, ‘‘ यह देश के लोगों के साथ कमी को पाटने का सीआरपीएफ का एक प्रयास है। नतीजे प्रोत्साहित करने वाले हैं और मुझे यकीन है कि हम लोगों की बेहतर तरीके से सेवा कर पाएंगे।’’

‘मददगार’ कॉल सेंटर के प्रमुख सहायक कमांडेंट गुल जुनैद खान ने बताया कि पिछले साल दिसंबर में, बिहार से ट्रेन में सफर कर रही एक लड़की ने फोन किया और तीन लड़कों द्वारा छेड़छाड़ करने की शिकायत की। उन्होंने बताया कि कश्मीर में स्थित कॉल सेंटर में सतर्क उपनिरीक्षक ने लड़की से पीएनआर संख्या ली और ट्रेन की स्थिति जांची। अगले स्टेशन पर आरपीएफ को सूचित किया और तीनों लड़कों को गिरफ्तार कर लिया गया।