सीएम योगी के इंटरव्यू का प्रसारण आचार संहिता का उल्लंघन : कांग्रेस

लखनऊ, उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में मतदान के दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साक्षात्कार के प्रसारण को आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का मामला मानते हुये चुनाव आयोग से इस पर रोक लगाने की गुहार लगायी है।

प्रदेश कांग्रेस के संगठन महासचिव दिनेश सिंह ने सोमवार को कहा कि मतदान के दिन पीएम मोदी व सीएम योगी के इंटरव्यू के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग को लेकर आज कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिला और इस सिलसिले में मुख्य निर्वाचन अधिकारी को एक पत्र देकर कहा कि दूसरे चरण के मतदान के दिन सीएम योगी का आधे घंटे का इंटरव्यू तमाम न्यूज चैनलों ने लगातार प्रसारित किया गया, जबकि मतदान प्रक्रिया चालू थी। ऐसा ही 10 फ़रवरी को पहले चरण के मतदान के दौरान हुआ, जब 9 फ़रवरी की रात्रि में पीएम मोदी ने इंटरव्यू दिया और 10 फ़रवरी को भी चौनलों ने लगातार उसे प्रसारित किया।

उन्होने कहा कि देश में सरकारी संस्थाएं दोहरा रवैया अपना रही हैं। यही चुनाव आयोग है, जिसने गुजरात चुनाव के वक्त राहुल गांधी के इंटरव्यू को चैनल पर टेलीकास्ट करने से रोक दिया था। तब चुनाव आयोग को जिस ‘जन प्रतिनिधित्व कानून 1951’ की धाराएं याद आ रही थीं, अब उसी कानून की उन्हीं धाराओं को उसने ठंडे बस्ते में डाल दिया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया इंटरव्यू और उसका प्रसारण आदर्श चुनाव आचार संहिता की परिधि में आता है लेकिन 2017 में राहुल जी के इंटरव्यू को रोकने वाला चुनाव आयोग उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मतदान से एक दिन पहले/ मतदान के दिन योगी-मोदी द्वारा अखबारों, चैनलों को दिए जा रहे साक्षात्कार पर सो रहा है।

उन्होंने कहा कि हमने आयोग से आग्रह किया है कि आदर्श आचार संहिता को दृष्टिगत रखते हुए सीएम योगी के इंटरव्यू के प्रसारण पर तत्काल रोक लगाते हुए इस संबंध में कार्रवाई कर चुनाव की निष्पक्षता और सुचिता को बनाए रखें।

सउन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि नफरत की राजनीति करने वाली भाजपा ने उत्तर प्रदेश को विकास के नाम पर जीरो दिया है। पोस्टर, बैनर और विज्ञापनों में सरकार अपने झूठे दावे कर जनता को गुमराह कर रही है, लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि योगीराज में महिला, किसान, नौजवान सब परेशान हैं। इस सरकार में दलितों और महिलाओं का उत्पीड़न हुआ, किसानों को अपनी फसलें औने-पौने दामों में बेचनी पड़ी, डीजल के दामों से किसान परेशान हैं, खाद की किल्लत इस सरकार में सबसे ज्यादा रही है।

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