लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रदेश के पूर्व मंत्री एवं बिहार व मध्य प्रदेश के राज्यपाल रहे स्वर्गीय लालजी टण्डन की प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर आज यहां हजरतगंज में उनकी प्रतिमा का अनावरण किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने श्री टण्डन को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि यह मूर्ति टण्डन जी की स्मृतियों को जीवन्तता प्रदान करने के साथ ही, लम्बे कालखण्ड तक लखनऊवासियों को निरन्तर उनकी याद दिलाती रहेगी। उन्होंने कहा कि श्री टण्डन ने देश की अमूल्य सेवा की थी। उन्होंने सार्वजनिक जीवन में लगभग 60 वर्ष का लम्बा समय व्यतीत किया। समाज के प्रत्येक तबके में टण्डन जी के प्रशंसक विद्यमान थे, समाज के सभी वर्गों के साथ उनका आत्मीयता का व्यवहार था। टण्डन जी की इन्हीं खूबियों के कारण उन्हें बाबू जी के रूप में लोगों का भरपूर सम्मान मिला।
श्री याेगी ने कहा कि लखनऊ के बारे में श्री टण्डन की विशेष जानकारी के कारण उन्हें लखनऊ का चलता-फिरता पुस्तकालय कहा जाता था। लखनऊ के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, साहित्यिक, सामाजिक आदि विभिन्न पक्षों को लेकर स्व0 टण्डन ने अपनी पुस्तक ‘अनकहा लखनऊ’ समर्पित की थी। श्री लालजी टण्डन के सुपुत्र नगर विकास मंत्री आशुतोष टण्डन उनकी विरासत को निरन्तर आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। नगर विकास का कार्य वे प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। मुख्यमंत्री जी ने श्री लालजी टण्डन की प्रतिमा की स्थापना के लिए लखनऊ नगर निगम एवं महापौर की सराहना की।
इस अवसर पर कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में अराजकता का माहौल समाप्त करके पूरे हिन्दुस्तान में शोहरत हासिल की। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के विकास को नई दिशा दी है।
श्री सिंह ने कहा कि स्व0 श्री टण्डन बड़े पदों पर रहकर भी आम लोगों से हमेशा जुड़े रहे। उनके आवास पर गरीब से लेकर अमीर, सभी तबके के लोग आते थे। सभी लोग उन पर भरोसा व विश्वास करते थे। सभी से उनका अच्छा सम्बन्ध रहता था। सबसे जुड़कर अपनापन देने व सबका हो जाने का भाव टण्डन जी की सबसे बड़ी विशेषता थी। टण्डन जी के गुणों और व्यवहार से यह सीख मिलती है कि व्यक्ति का पद अथवा कद चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो, उसे अपनी जमीन से नहीं कटना चाहिए। जब कभी भी हम लोगों को महत्वपूर्ण सुझाव या निर्णय लेना होता था, तब टण्डन जी उचित मार्गदर्शन प्रदान करते थे। वे राष्ट्रीय व प्रादेशिक मुद्दों पर बराबर जानकारी देते थे।