नई दिल्ली, केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने आज उच्चतम न्यायालय को बताया कि कथित रिश्वत के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के पुत्र कार्ति चितदंबरम के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर के लिये सही, ठोस वजह है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने मामले के संबंध में सीबीआई की ओर से सीलबंद लिफाफे में पेश दस्तावेज रिकार्ड में लिये। पीठ ने कार्ति द्वारा दायर हलफनामे पर सीबीआई को जवाब देने का निर्देश दिया।
कार्ति 23 और 28 अगस्त को जांचकर्ताओं के समक्ष पेश हुये थे और उन्होंने इस दौरान उनसे हुयी पूछताछ संबंध में यह हलफनामा दायर किया है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि उनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी करने के पीछे सही, ठोस वजह है।
यह कोई साधारण या किसी एक कंपनी का मामला नहीं है बल्कि इसमें विदेशों में खातों और संपत्तियों का जाल-फरेब शामिल है। कार्ति की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने दलील दी, जांच की विषय वस्तु मैं नहीं बल्कि मेरे पिता हैं जो कि वर्ष 2007 में एक कंपनी को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की मंजूरी देने के दौरान वित्त मंत्री थे और इसमें आरोप है कि इनमें से एक शर्त का उल्लंघन हुआ है।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में छह सदस्यीय एफआईपीबी के एक भी सदस्य से पूछताछ नहीं हुई। एफआईपीबी के सभी सदस्य सचिव स्तरीय अधिकारी हैं। न्यायालय में इस मामले में अब 11 सितंबर को सुनवाई होगी।