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सीमाओं की रक्षा के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास सरकार की रणनीति का हिस्सा : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

नयी दिल्ली, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि सरकार ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ आगे बढ रही है और देश की सीमाओं की रक्षा तथा आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास करना उसकी रणनीति का अहम हिस्सा है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने संसद के बजट सत्र के पहले दिन शुक्रवार को यहां संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा, “देश इस वर्ष सरदार वल्लभभाई पटेल की 125 वीं जयंती मना रहा है। उनकी प्रेरणा से मेरी सरकार ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना को लेकर आगे बढ़ रही है।”

उन्होंने कहा कि देश की सीमाओं की रक्षा और आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने ऐतिहासिक कार्य किए हैं, विशेषकर रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता में बहुत उत्साहजनक परिणाम मिले हैं। उन्होंने कहा , “हम ‘मेक इन इंडिया’ से ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ की ओर बढ़े हैं। इससे देश में रोजगार के नए अवसर भी बन रहे हैं। कुछ दिन पहले एक ऐतिहासिक पल में देश में बने दो युद्धपोतों और एक पनडुब्बी को भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया है।

देश में डिफेन्स इंडस्ट्रियल कॉरीडोर की स्थापना और डिफेन्स स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देकर हम आत्मनिर्भरता और स्वरोजगार को मजबूती दे रहे हैं। ”

उन्होंने कहा कि सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ देश के सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास भी सरकार की रणनीति का अहम हिस्सा है। सीमा क्षेत्र की सड़कें और अटल टनल, सेला टनल, सोनमर्ग टनल जैसे आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर से रक्षा और पर्यटन को बढ़ावा मिला है। सीमा पर स्थित देश के प्रथम गांवों में “वाइब्रेंट विलेज” कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है।

उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने के अंतिम चरण की भी शुरुआत हो चुकी है। सरकार के प्रयासों से वामपंथी-उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर अब 38 तक आ गई है।