प्रयागराज, सुख समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिये सूर्योपासना के महापर्व ‘डाला छठ’ के मौके पर तीर्थराज प्रयागराज में श्रद्धा से मनाया जाएगा।
वैदिक शोध एवं सांस्कृतिक प्रतिष्ठान कर्मकाण्ड प्रशिक्षण केन्द्र के पूर्व आचार्य डा आत्माराम गौतम ने बताया कि भारत में सूर्योपासना ऋगवेद काल से होती आ रही है। सूर्य और इसकी उपासना की चर्चा पुराणों में विस्तार से की गयी है। मध्य काल तक छठ सूर्योपासना के व्यवस्थित पर्व के रूप में प्रतिष्ठित हो गया, जो अभी तक चला आ रहा है। शिव पुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, भविष्य पुराण, मार्कण्डेय पुराण के साथ कई अन्य श्रुतियों व उपनिषदों में भी इस पर्व के महत्व का वर्णन किया गया है।
आचार्य ने बताया कि इस दिन पुण्यसलिला स्वरूपा नदियों, तालाब या फिर किसी पोखर के किनारे पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पूजा की धार्मिक मान्यताओं के साथ सामाजिक महत्व और वैज्ञानिक महत्व भी है। लेकिन इस पर्व की सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें धार्मिक भेदभाव, ऊंच-नीच, जात-पात भूलकर महिला और पुरूष समान रूप से एक साथ इसे मनाते हैं।
छठ पूजा का सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष इसकी सादगी, पवित्रता और लोकपक्ष है। भक्ति और आध्यात्म से परिपूर्ण इस पर्व में बाँस निर्मित सूप, टोकरी, मिट्टी के बर्त्तनों, गन्ने का रस, गुड़, चावल और गेहूँ से निर्मित प्रसाद और सुमधुर लोकगीतों से युक्त होकर लोक जीवन की भरपूर मिठास का प्रसार करता है।
उन्होने बताया कि शास्त्रों से अलग यह जन सामान्य द्वारा अपने रीति-रिवाजों के रंगों में गढ़ी गयी उपासना पद्धति है। इसके केंद्र में वेद, पुराण जैसे धर्मग्रन्थ न होकर किसान और ग्रामीण जीवन है। इस व्रत के लिए न विशेष धन की आवश्यकता है न पुरोहित या गुरु के अभ्यर्थना की। जरूरत पड़ती है तो पास-पड़ोस के सहयोग की जो अपनी सेवा के लिए सहर्ष और कृतज्ञतापूर्वक प्रस्तुत रहता है।
आचार्य ने बताया कि सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। प्रायः हिन्दुओं द्वारा मनाये जाने वाले इस पर्व को इस्लाम सहित अन्य धर्मावलम्बी भी मनाते देखे गये हैं। धीरे-धीरे यह त्योहार प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ विश्वभर में प्रचलित हो गया है। छठ पूजा सूर्य और उनकी बहन छठी मइया को समर्पित है। बिहार समेत देश के कई राज्यों में छठ पूजा बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। इस पूजा में भगवान सूर्य की अराधना की जाती है।