नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के एक मामले में सुनवाई करते हुए पत्नी को अपने पति के प्रति क्रूरता का दोषी ठहराया है। पति को तलाक की इजाजत देते हुए कोर्ट ने कहा कि वो अपनी पत्नी को एक करोड़ रुपए मूल्य का फ्लैट व 50 लाख रुपए एकमुश्त गुजारा राशि दे।
दरअसल, पत्नी अपने पति के खिलाफ झूठा केस दर्ज कराकर उसे प्रताड़ित करती थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके गोयल और दीपक गुप्ता की पीठ ने फैसला सुनाने के बाद यह अहम टिप्पणी की कि अत्याचार को कभी सटीक रुप से परिभाषित नहीं किया जा सकता है ये समय और परिस्थिति के अनुसार तय होता है। मामले में स्पष्ट है कि पत्नी ने पति, ससुराल वाले व पति के सहयोगियों पर धृष्टतापूर्वक मानहानि व झूठे आरोप लगाए, जिससे समाज में उनकी प्रतिष्ठा को चोट पहुंची है।
इस दंपति की शादी 1989 में हिंदू परंपरा के अनुसार हुई थी। 1990 में इन्हें एक बेटे का जन्म हुआ। 1999 तक ये दोनों पति-पत्नी साथ रहे लेकिन 19 मार्च 2000 को पति ने पत्नी से तंग आकर घर छोड़ दिया और तलाक के लिए अर्जी दे दी। पति का आरोप था कि पत्नी उसके परिवार के खिलाफ दहेज और मारपीट के झूठे आरोप लगाती है। कई बार मीडिया रिपोर्टों में पत्नी के खुद को जिंदा जलाने की भी बात सामने आईं। उसने राज्य मानवाधिकार आयोग, हाइ कोर्ट के मुख्य न्यायधीश और राज्य के मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखे, लेकिन जांच के बाद आरोप झूठा पाया गया। इसके बाद पत्नी ने पति पर आरोप लगाया कि वो उसके घर में जबरन घुसकर हमला करना चाहता था। इस पर कोर्ट ने कहा कि हो सकता है कि पत्नी ने पति के द्वारा तलाक की अर्जी दाखिल करने की बात से खफा होकर ये झूठा आरोप लगाया। लेकिन उसे कोई हक नहीं कि वो पति के खिलाफ कोई मानहानि का आरोप लगाए।