नई दिल्ली, पद्मावत फिल्म पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज एकबार फिर करणी सेना को झटका दे दिया है।आज सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि कल इस मामले पर सुनवाई पूरी हो चुकी है और अंतरिम आदेश दिया चुका है। कोर्ट के आदेश के बाद भी करणी सेना का विरोध बरकरार है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने इस पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। सीजेआई दीपक मिश्रा ने कहा कि अदालत संवैधानिक संस्था के रुप में काम करती है और इस मामले में कल ही अंतरिम आदेश दे दिया गया है। सीजेआई ने कहा कि कोर्ट ने कल आदेश में कहा था कि पद्मावत सभी राज्यों में रिलीज होगी और कोई भी राज्य इसकी स्क्रिनिंग पर बैन नहीं लगा सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ही फिल्म को 25 जनवरी को रिलीज करने को हरी झंडी दिखाते हुए राजस्थान सहित चार राज्यों में इस पर रोक लगाए जाने को गलत ठहराया था। उसी के बाद से राजपूत समाज में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। करणी सेना सहित विभिन्न राजपूत संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बावजूद प्रदेश में फिल्म के प्रदर्शन का विरोध करने का ऐलान किया है।
करणी सेना के लोकेन्द्र सिंह कालवी और सुखदेव गोगामेड़ी का कहना है कि राजस्थान के छविगृह मालिकों ने पहले ही हमें लिखकर दे रखा है कि वे अपने यहां फिल्म को प्रदर्शित नहीं करेंगे। इसके बावजूद अगर वे फिल्म प्रदर्शित करते हैं तो हम ‘जनता कर्फ्यू’ से इसे रोकेंगे। एक वीडियो संदेश में संगठन के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने कहा कि फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के लिए वे लोग राष्ट्रपति से मिलने की कोशिश भी करेंगे। उन्होंने कहा कि वे इस फिल्म का प्रदर्शन नहीं होने देंगे।
राजपूत सभा की सदस्य हेमेन्द्र कुमारी एवं रामवती कंवर ने फिल्म के प्रदर्शन को राजपूतों का अपमान बताया और कहा कि अब वे जौहर नहीं करेंगी बल्कि फिल्म बनाने वाले संजय लीला भंसाली को ही जौहर कराएंगी यानी उसका पुतला जलाएंगी।दोनों का कहना था कि फिल्म पर रोक लगाने के लिए राजपूत महिलाओं का एक शिष्टमंडल जल्द ही दिल्ली जाकर राष्ट्रपति से मिलेगा और राजपूतों के इतिहास से छेड़छाड़ करने वाली फिल्म पर रोक लगाने का अनुरोध करेगा। करणी सेना आज मुंबई से सटे ठाणे में विरोध मार्च निकालेगी।