नई दिल्ली/लखनऊ, सुप्रीम कोर्ट ने यौन शोषण के एक मामले में अखिलेश यादव सरकार के परिवहन मंत्री गायत्री प्रजापति के खिलाफ तुरन्त एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। साथ ही, सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में यूपी पुलिस से आठ हफ्ते में रिपोर्ट तलब की है। गायत्री सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी हैं और पार्टी में चल रहे विवाद के दौरान वह शिवपाल यादव के गुट में थे। हालांकि इसके बावजूद अखिलेश यादव ने उन्हें अमेठी से प्रत्याशी बनाया है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से गायत्री की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
वह अमेठी से सपा प्रत्याशी के रूप में एक बार फिर मैदान में हैं और 2012 की तरह अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस की अमिता सिंह भी इस सीट से अपना नामांकन कर चुकी हैं। दोनों ही नेता पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और शीर्ष नेतृत्व भी अभी तक मामला सुलझा नहीं पाया है। वहीं अब जिस तरह से सर्वोच्च अदालत ने गायत्री के खिलाफ एफआईआर का आदेश दिया है, उससे न सिर्फ अमेठी में सपा के विरोधी दल बल्कि अमिता सिंह भी मुद्दा बना सकती हैं, जिससे गायत्री पर दबाव बनाकर उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जा सके।
गायत्री कई बार पहले भी विवादों में रहे हैं। सितम्बर 2016 में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पहली बार भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण विवादों में रहने वाले गायत्री प्रजापति बर्खास्त कर दिया था। गायत्री तब खनन मंत्री थे और उन पर खनन मंत्री रहते हुए अवैध खनन की गतिविधियों में शामिल रहने का आरोप था। हालांकि इसके कुछ दिन बाद ही गायत्री को दोबारा मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। तब उन्होंने मुलायम को भगवान बताया था। गायत्री ने कहा था, नेताजी को बधाई, मुख्यमंत्री जी को विशेष बधाई। नेताजी भगवान हैं।
उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री ने अन्याय के खिलाफ काम किया। मैं गरीब के घर पैदा हुआ हूं। मुझ पर विरोधियों ने झूठे आरोप लगाए हैं। उन्होंने मुलायम और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पैर भी छुए। क्या है मामला गायत्री प्रजापति पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला ने कहा था कि प्रजापति ने उसकी चाय में नशीला पदार्थ अपने गुर्गो के साथ उसके साथ दुष्कर्म किया। महिला का आरोप था कि गायत्री के खास अशोक तिवारी ने उसकी मुलाकात उनसे कराई थी। जिसके बाद उसकी चाय में नशीली दवा मिलाकर जबरन यौन संबंध बनाए गए और अश्लील तस्वीरें भी खींची गईं।
महिला ने कहा था कि गायत्री प्रजापति ने इसके बाद कई दिनों तक ब्लैकमेल कर उसके साथ बलात्कार किया। पीड़ित महिला के मुताबिक प्रजापति ने उसकी 17 साल की नाबालिग बेटी से भी छेड़छाड़ की और विरोध करने पर उसकी पिटाई की और जान से मारने की धमकी भी दी गई। महिला ने कहा था कि काफी समय तक वह शर्म की वजह से चुप रही लेकिन जब इन लोगों ने उसकी बच्ची के साथ भी यही सब करने का प्रयास किया तो वह चुप नहीं रह सकी। हालांकि महिला की काफी शिकायत के बावजूद यूपी पुलिस इस मामले में उदासीन बनी रही, जिसके बाद पीड़ित ने अदालत की शरण ली।