सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी से पक्षपात विरोधी नियमों को अंतिम रूप देने का दिया निर्देश

नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को उच्च शिक्षा संस्थानों में जातीय भेदभाव को रोकने के उद्देश्य से मसौदा विनियमों को अंतिम रूप देने और अधिसूचित करने की दिशा में आगे बढ़ने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इस निर्देश के साथ ही स्पष्ट किया कि ये विनियम छात्रों की आत्महत्या और प्रणालीगत भेदभाव के व्यापक मुद्दे की जांच करने के उद्देश्य से अदालत की समन्वय पीठ द्वारा गठित टास्क फोर्स की ओर से आने वाली सिफारिशों के अतिरिक्त काम करेंगे।
पीठ ने यह निर्देश राधिका वेमुला और अबेदा सलीम तड़वी द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई के दौरान दिया।
रोहित वेमुला और पायल तड़वी ने कथित जातिगत भेदभाव के कारण आत्महत्या कर ली थी। राधिका वेमुला रोहित वेमुला की और अबेदा सलीम तड़वी पायल तड़वी की मां हैं। याचिका में में शैक्षणिक संस्थानों में प्रणालीगत सुधार और जवाबदेही लागू करने की गुहार लगाई गई है।
शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह और केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। इंदिरा जयसिंह ने तर्क दिया कि हालांकि एक अन्य पीठ द्वारा टास्क फोर्स का गठन किया गया है, लेकिन आगे की त्रासदियों को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा,“हम जीवित लोगों के बारे में चिंतित हैं। भविष्य में ऐसा (आत्महत्या) होने से रोकने के लिए क्या किया जा सकता है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि मौजूदा नियम पुराने हो चुके हैं और उनमें जाति-आधारित भेदभाव पर आवश्यक स्पष्टता का अभाव है।
पीठ की ओर से न्यायमूर्ति कांत ने सहमति व्यक्त की कि याचिकाकर्ताओं ने मौजूदा ढांचे के अप्रचलन को ‘सफलतापूर्वक प्रदर्शित’ किया है और इस बात पर जोर दिया कि टास्क फोर्स को व्यापक, भविष्य में समाधान तैयार करने में सहायता की जानी चाहिए।
हालांकि, अदालत कक्ष में तनाव के क्षण देखे गए क्योंकि जयसिंह ने श्री मेहता द्वारा बार-बार व्यवधान डालने पर आपत्ति जताई, उन पर ‘पुरुषवादी रवैया’ प्रदर्शित करने और महिला अधिवक्ताओं के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार करने का आरोप लगाया।
एक समय पर, उन्होंने यह कहते हुए शीर्ष अदालत कक्ष से बाहर जाने का प्रयास किया, “मेरे जूनियर वकील को बहस करने दीजिए।”
न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने शिष्टाचार बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप किया। उन्होंने दोनों पक्षों से शांत रहने का आग्रह किया। जयसिंह ने बाद में अपनी आवाज ऊंची करने के लिए पीठ से माफी मांगी, जबकि श्री मेहता ने स्वीकार किया, “माई लॉर्ड्स, न्यायाधीश बनना बहुत कठिन है।”
जयसिंह ने अपनी दलीलें फिर से शुरू करते हुए पीठ को सूचित किया कि समन्वय पीठ ने पहले ही यूजीसी विनियमों से संबंधित लंबित मामलों को स्वीकार कर लिया है तथा संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन किया है। इस संदर्भ में वर्तमान पीठ ने निम्नलिखित प्रमुख निर्देश जारी किए:
यूजीसी मसौदा विनियमों को अंतिम रूप देने तथा अधिसूचित करने के साथ आगे बढ़ सकता है।
अधिसूचित विनियम, टास्क फोर्स द्वारा प्रस्तुत की गई सिफारिशों के साथ-साथ कार्य करेंगे।
दो युवा लोगों की दुखद मृत्यु पर आधारित याचिका, शैक्षणिक स्थानों में जाति-आधारित भेदभाव के विरुद्ध संस्थागत सुधार तथा सुरक्षा उपायों
के प्रवर्तन की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है। मामला न्यायिक विचाराधीन है।