गया, बिहार के गया जिले में सुहागिन महिलाओं ने पति की दीर्घायु जीवन की मंगल कामना के लिए वट सावित्री पूजा की
गया शहर के विभिन्न क्षेत्रों में बरगद के वृक्ष के नीचे महिलाओं ने विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की। इसी क्रम में शहर के अनुग्रह नारायण कॉलेज के प्रांगण में स्थित वट वृक्ष के नीचे सुहागिन महिलाओं ने विधिवत पूजा की। यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत की बहुत अधिक महत्ता है। विवाहित महिलाओं के लिए यह दिन किसी उत्सव से कम नहीं है। वह पूरे साल वट सावित्री व्रत का इंतजार करती हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार वट सावित्री का पर्व हर साल ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि वट सावित्री व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। इस व्रत के साथ पौराणिक मान्यता जुड़ी हुई है। इसी दिन सावित्री माता अपने पति सत्यवान के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर वापस ले आईं थी। वट वृक्ष के नीचे ही सत्यवान को फिर से नया जीवन मिला था। यही वजह है कि महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी आयु के लिए उपवास करती हैं और वट वृक्ष की विशेष पूजा की जाती है।
पूजा करने वाली महिला श्रद्धालु श्वेता देवी ने बताया कि पति की दीर्घायु के लिए वट सावित्री पूजा की जाती है। आज हमलोग पूरे परिवार के साथ वट वृक्ष के नीचे पूजा अर्चना कर रहे हैं। इस दिन ताड़ के पेड़ से बने पंखे से पति को हवा दी जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है। आज पूरे दिन हम लोग उपवास करती हैं। जिस तरह से बरगद के पेड़ की आयु सबसे अधिक होती है, उसी तरह पति की आयु भी अधिक हो। इस तरह का मंगल कामना हम लोग कर रही हैं।