नई दिल्ली, केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने सेना को सीमा पर शहीद हुए उन जवानों की विस्तृत जानकारी मुहैया कराने का निर्देश दिया है जिनके शव दुश्मनों ने विकृत कर दिए। सेना को पाकिस्तान और चीन से लगती सीमा पर आतंकवादियों और दुश्मन सेना के साथ हुई झड़पों से संबंधित यह जानकारी देनी होगी। यह मामला अभिषेक शुक्ला द्वारा 2013 में दायर की गई आरटीआइ अर्जी से संबंधित है। सेना ने दुश्मनों के साथ मुकाबले में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों के बारे में सूचना को गोपनीय रखने का फैसला लिया था। सूचना आयुक्त दिव्य प्रकाश सिन्हा ने कहा, देश के लोगों को अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हुए जान देने वाले सैनिकों के बारे में जानने का अधिकार है। कानून के अनुसार सेना को आरटीआइ अर्जी का जवाब 30 दिनों के भीतर देना है। लेकिन शुक्ला की अर्जी का सेना ने करीब 78 दिनों बाद पहला जवाब दिया था। बार-बार याद दिलाने पर सेना ने सूचना उपलब्ध नहीं कराने के लिए आरटीआइ अधिनियम की धारा 8(1)(ए) का सहारा लिया। धारा 8(1)(ए) ऐसी सूचना को सामने आने से रोकती है जिससे देश की सुरक्षा पर आंच आ सकती है।केंद्रीय जन सूचना अधिकारी के फैसले को चुनौती देने के लिए सेना के वरिष्ठ अधिकारी के समक्ष पेश की गई पहली अपील खारिज कर दी गई। इस क्रम में याची की दलील पर ध्यान नहीं दिया गया। सूचना साझा करने में आनाकानी करते हुए सेना ने केंद्रीय सूचना आयुक्त सिन्हा के सामने सुनवाई के दौरान अतिरिक्त तर्क भी पेश किए। याची ने सेना के तर्को के जवाब में 8 जनवरी 2013 को राज्यसभा में तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी के बयान का उल्लेख किया। एंटनी ने भारतीय निगरानी दस्ते पर किए गए पाकिस्तानी हमले और उसमें शहीद हुए जवानों के विकृत शव मिलने का जिक्र किया था।