आजकल हमारे शरीर पर ज्यादा सोने या न सोने से क्या-क्या प्रभाव पड़ता है? यह जानने का प्रयास कर रहे हैं। आखिर हम अपनी दिनचर्या के स्वाभाविक अंतराल पर सोने क्यों चले जाते हैं। दरसल सोते समय मानव शरीर की बाहरी गतिविधियों समाप्त हो जाती हैं और आंतरिक गतिविधियां कम हो जाती हैं। लेकिन बिस्तर पर अपने साथ तनाव लेकर न जाएं। बिस्तर सोने के लिए है न कि किसी समस्या का समाधान करने के लिए बिस्तर पर आपको तभी जाना चाहिए जब आप सोने के लिए पूरी तरह तैयार हों। जीवनशैली बदलने से स्लीप पैटर्न भी गड़बड़ा गया है आज वैश्विक आबादी का एक बड़ा भाग अनिद्रा की समस्यां से ग्रस्त है भारत में भी अनिद्रा की समस्या अत्यधिक गंभीर है हमारे देश में महानगरों के लगभग 50 प्रतिशत लोग पूरी नींद नहीं ले पाते।
आधुनिक अनुसंधानकर्ताओं का दावा है कि अनिद्रा करीब 86 प्रतिशत बीमारियों का कारण है जिनमें अवसाद सबसे प्रमुख है। यह जरूरी नहीं है कि व्यक्ति को नींद की बीमारी अपने तनाव के कारण ही मिले। यह उसे आनुवांशिक विरासत में भी मिल सकती है। ऐसे ही एक बीमारी का नाम नरकोलेप्सी यानी निद्रसस्मार। यह वंशानुगत बीमारी आमतौर पर किशोर वय के उत्तरार्ध में या वयस्क उम्र के शुरू में लग जाती है। इस रोग में अनिद्रा के उल्टे काफी नींद आती है। हो सकता है दिन में बार-बार नींद के झटके आएं। रोगी चाह कर भी जाग नहीं पाता। नींद के आगोश में चला जाता है। पर्याप्त नींद क्या है? पर्याप्त नींद वह है जब आप अगले दिन तरोताजा और सर्तक अनुभव करते हैं। अधिकतर व्यस्कों के लिये यह मात्रा 6-8 घंटे होती है लेकिन बहुत से लोगों के लिये यह 9-10 घंटे होती है, कुठ के लिये यह मात्रा छह घंटे या उससे भी कम होती है। हालांकि अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि जो लोग नियमित रूप से 6-8 घंटे की नींद लेते हैं उनका स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
नींद दो प्रकार की होती है गहरी नींद, जिसमें अगर व्यक्ति पांच घंटे भी सो जाता है तो शरीर को आराम मिल जाता है। दूसरी कच्ची नींद, ये भले ही आठ घंटे की हो तो भी शरीर को आराम नहीं मिलता और दिन भर थकान और सुस्ती बनी रहती है। स्वस्थ्य और तरोताजा रहने के लिये गहरी नींद बहुत जरूरी है।
नींद की कमी के नुकसान:- आज कम से कम 60 प्रतिशत लोग सप्ताह में कईं रातें पूरी नींद नहीं ले पाते हैं। कुछ लोगों को आसानी से नींद नहीं आती है तो कईं लोग गहरी नींद नहीं सो पाते हैं। दोनों ही स्थितियां स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। लगातर नींद की कमी से कईं गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि जो लोग नियमित रूप से छह घंटे से कम सोते हैं उनका जीवनकाल उन लोगों की तुलना में कम हो जाता है जो नियमित रूप से सात-आठ घंटा सोते हैं।
- अनिद्रा के कारण अवसाद, एंग्जाइटी जैसे मानसिक रोगों का खतरा कईं गुना बढ़ जाता है।
- अनिद्रा के कारण शरीर में भूख का अहसास कराने वाले हार्मोंनो का स्तर बढ़ जाता है जिसके कारण लोग अधिक मात्रा में खाते हैं। इसके अलावा अनिद्रा के कारण मेटाबॉलिज्म की दर धीमी हो जाने से भी मोटापा बढ़ता है।
- नींद पूरी ना होने पर रक्तदाब बढ़ सकता है।
- माइग्रेन यानी सिरदर्द हो सकता है, अगर माइग्रेन पहले से है तो उसके बढने की आशंका रहती है।
- नींद पूरी ना होने से पाचन तंत्र संबंधी समस्याएं जैसे कब्ज, बदहजमी, एसिडिटी आदि हो सकती हैं।
- अनिद्रा से पीड़ित लोग इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के शिकार हो सकते हैं जिसमें सुबह उठने पर बार-बार दस्त होना, पेट दर्द, पैचिश आदि के लक्षण दिखाई देते हैं।
- अस्थमा की समस्या बढ़ सकती है। अस्थमा अटैक की आशंका बढ़ जाती है। -हार्मोन असंतुलन हो सकता है जिससे
- डायबिटीज की समस्या बढ़ सकती है या नई शुरूआत हो सकती है।
- प्रजनन तंत्र पर भी प्रभाव पड़ता है। पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है और महिलाओं में मासिक चक्रगड़बड़ा जाता है।
- ऐसे आएगी अच्छी नींद… मानसिक शांति के लिए ध्यान करें। वैज्ञानिकों ने भी साबित किया है कि ध्यान अनिद्रा में बहुत उपयोगी है।
- अल्कोहल का कम सेवन शुरूआत में तो शराब के सेवन से तुरंत और गहरी नींद आ जाती है लेकिन नियमित रूप से अधिक मात्रा में शराब के सेवन से नींद का पैटर्न गड़बड़ा जाता है।
- कैफीन का सेवन कम या ना करें, विशेषरूप से दोपहर के बाद या शाम को।
- धुम्रपान ना करें निकोटिन भी नींद में बाधा डालता है और उत्तेजना बढ़ाता है।
- सोने के दो-तीन घंटा पहले भारी खाना ना खाएं। रात के खाने के बाद अधिक मात्रा में तरल पदार्थों के सेवन से बचें।
- सोने-उठने का एक नियमित समय बना लें। एक बार जब आप इसका कड़ाई से पालन करने लगेंगे आपको बेहतर नींद आएगी।
- दोपहर में सोने से बचें। अगर जरूरी हो तो तीन बजे के पहले सोएं।
- नियमित रूप से एक्सरसाइज करें, लेकिन सोने के पहले कड़ी एक्सरसाइज न करें।
- सोने से एक घंटा पहले गैजेट्स का प्रयोग बंद कर दें।
- अंधेरे में सोएं क्योंकि रोशनी में मेलेटोनिन का स्तर प्रभावित होता है जिससे अनिद्रा की समस्या बढ़ती है।
- भरपूर सोएं स्वस्थ रहें…
- अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि नींद से शरीर के सभी तंत्रों को लाभ पहुंचता है।
- शरीर का भार औसत बना रहता है ओर मोटापे से बचाव होता है।
- इम्यून तंत्र शक्तिशाली हो जाता है जिससे बीमारियों की चपेट में आने की आशंका कम हो जाती है।
- दर्द में आराम, अनुसंधानों में यह बात सामने आई है कि नींद दर्द में दवा का काम करती है इसीलिये कईं दर्द निवारक दवाईयों में थोड़ी मात्रा में अच्छी नींद आने की दवा भी होती है।
- पर्याप्त नींद लेने पर मूड बेहतर रहता है। नींद की कमी से भावनात्मक संतुलन प्रभावित होता है।
- पर्याप्त नींद लेने वालों की ध्यान-केंद्रन और निर्णय लेने की क्षमता और तर्क-शक्ति बेहतर होती है।
- जो लोग पूरी नींद लेते हैं वो उन लोगों की तुलना में अधिक आकर्षक और स्वस्थ दिखते हैं जो पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं।