सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले को फिर से जिंदा करेगी बसपा, रैली के बहाने शक्ति प्रदर्शन की तैयारी

लखनऊ, लंबे अंतराल के बाद बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती एक बार फिर गुरुवार को पार्टी के समर्थकों से रूबरू होंगी। इस दौरान मायावती शक्ति प्रदर्शन के जरिये बसपा को बी टीम बताने वाले विपक्ष को न केवल अपनी ताकत का अहसास कराएंगी बल्कि मिशन 2027 का आगाज भी करेंगी।
सर्वजन सुखाय- सर्वजन हिताय को लेकर मान्यवर कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती एक बार फिर से रैली के जरिये सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर चलते हुए मतदाताओं के बीच पहुचने की कोशिश करेंगी। दूसरे पार्टी में एकजुटता का संदेश देने के लिए मायावती के साथ मंच पर भाई आनंद कुमार, भतीजे आकाश आनंद, सीनियर लीडर सतीश चंद्र मिश्र भी साथ दिखेंगे।
लखनऊ के कांशीराम स्मारक स्थल में होने वाली रैली की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। रैली के लिए पूरे प्रदेश से 5 लाख की भीड़ लाने का प्लान है। कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को जिलेवार और सेक्टरवार टारगेट तय किया गया है। बसपा ने “राशन नहीं, शासन चाहिए, लखनऊ चलो” के नारे को भी बुलंद करते हुए अपनी खोई सियासी जमीन को पाने की रणनीति तैयार की है।
तीन घंटे की रैली के बाद मायावती चयनित कार्यकर्ताओं से अलग बैठक करेंगी। यह बसपा में संगठनात्मक पुनर्गठन की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि मायावती हर जिले से प्रतिनिधि स्तर पर सुझाव लेंगी ताकि आगे के रोडमैप में उनका इनपुट शामिल किया जा सके। इसे 2027 विधानसभा चुनाव का रोडमैप भी माना जा रहा है।
वहीं रैली को सफल बनाने के लिए बसपा ने इस बार डिजिटल मोर्चे पर भी फोकस किया है। दीवारों पर पेंटिंग, नीले झंडों से सजी गलियां, और ग्राम स्तर पर नुक्कड़ सभाएं हो रही हैं। इस बार कई नए नारे गढ़े हैं। “दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक की आवाज बहुजन समाज का नया आगाज”।