नई दिल्ली, मलयालम, बंगाली, कन्नड़, तमिल बोलने वालों का क्या, क्या वे हिंदुस्तानी नहीं हैं? एक कन्नड़ यूजर ने ट्वीट कर हिंदी दिवस के प्रति अपनी नाराजगी जतायी है और विरोध किया है। उनके द्वारा ट्वीटर पर ट्रेंड तक सेट कर दिया गया है और हिंदी दिवस का विरोध करने वाले वहीं एकजुट हो रहे हैं। ट्वीट के जरिए सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं में हिंदी भाषा का उपयोग पर आपत्ति जताते हुए कहा गया है कि चूंकि भारत में एकता है तो फिर भाषा को लेकर जबर्दस्ती क्यों की जा रही है। हैदराबाद के बैंक में प्रतिदिन एक हिंदी शब्द बताया जा रहा है। और तो और हिंदी न बोलने वालों ने अन्य राज्यों में उनकी भाषा में बोर्ड की मांग की है। माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट ट्वीटर के प्लेटफार्म पर मेक माइ लैंग्वेज ऑफिशियल ट्रेंड कर रहा है। बेंगलुरू के एक ट्वीटर यूजर ने गोआईमेकमाईलैंग्वेजआॅफिशियल यह ट्रेड सेट किया है। जिसे हैशटैग कर हिंदी भाषा के विरोध में कई लोग अपना हक जताते हुए अपनी भाषा को आधिकारिक करने की मांग कर रहे हैं। एक यूजर ने तो यहां तक कहा कि हिंदी को अन्यथा इतनी महत्ता क्यों दी जा रही है। कावेरी जल विवाद से अलग हुए तमिलनाडु व कर्नाटक के लोग भी हिंदी के विरोध में एक हो गए हैं। बेंगलुरु से रक्षित ने ट्वीट किया है कावेरी के कारण अलग हुए तमिल व कन्नड़ भी हिंदी के विरोध में एकजुट हैं। एक अन्य यूजर ने मांग किया है कि देश में सभी भाषाओं में आइटी रिटर्न फॉर्म उपलब्ध कराया जाए न कि केवल अंग्रेजी व हिंदी में। बेंगलुरु के ही गणेश चेतन ने भी इसका समर्थन किया है और कहा है कि सुबह ग्यारह बजे तक इस मामले में 8000 ट्वीट हो गए और 575 कंट्रीब्यूटर्स भी इसमें शामिल हो गए हैं।