लखनऊ, हर समय इंटरनेट से जुड़े रहने से हमको वह जानकारी भी मिल जाती है जिसकी हमको आवश्यकता नहीं होती है। आजकल ज्यादातर युवा सोशल साईट्स पर क्रियाशील रहते हैंए जिसकी वजह से वह परिवार से दूर हो जाते हैं।
किंग जार्ज मेडिकल यूनिर्वसिटी के फिजियोलॉजी विभाग एवं फिजियोलॉज सोसाइटी के तत्वधान में 107वां वार्षिक फिजियोलॉजी स्थापना दिवस के अवसर पर बेंगलूरू से आज यहां आये प्रो0 डाक्टर बी एस शंकर नारायण राव ने विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि शरीर के विभिन्ना अंगों से अथवा विभिन्न पर्यावरण कारकों से प्राप्त सूचना मानव दिमाग के विभिन्न हिस्सों में जमा होती है। हम जो कुछ भी सीखते हैंए देखते हैं वह हमारे दिमाग के ऊपर निर्भर करता हैए मगर न्यूरोलॉजिकल या ब्रेन डिसआर्डर की वजह से हमारे दिमाग की कार्य क्षमता प्रभावित होती है।
उन्होंने बताया कि इसी वजह से हम विभिन्न कार्यों को उचित तरीके से नहीं कर पाते हैं। डाक्टर राव के अनुसार ब्रेन डिसआर्डर दो प्रकार के होते हैंए पहला न्यूरोलॉजिकल एवं दूसरा मानसिक। इन दोनो को प्रारम्भिक अवस्था में पहचान पाना कठिन होता है। उनके अनुसार ज्यादतर ब्रेन डिसआर्डर तनाव से सम्बंधित होते हैं। जब हम लम्बे वक्त तक तनाव में रहते हैं और उसे दूर करने का प्रयास नहीं करते या किसी वजह से हम तनाव से बाहर नहीं निकल पाते हैं तो धीरे.धीरे असवाद से ग्रसित हो जाते हैं।
डाक्टर राव ने बताया कि तनाव की एक अहम वजहों में से आज एक वजह स्मार्टफोन और सोशल साईट्स हैं। उन्होंने कहा कि हम अधिकतर समय इंटरनेट से जुड़े रहते हैंए तथा वह जानकारी भी प्राप्त कर लेते हैं जिनकी हमको आवश्यकता नहीं होती है। उन्होंने कहा कि आज कल ज्यादातर युवा सोशल साईट्स पर ज्यादा क्रियाशील रहते हैं जिसकी वजह से वह अपने परिवार से दूर होते जाते हैं तथा धीरे.धीरे तनाव से ग्रसित होते जाते हैं।
उन्होंने कहा कि आठ वर्ष तक की उम्र के बच्चों को फोन देने पर उनके दिमाग के विकास में अवरोध उत्पन्न होता है और इससे विभिन्न सामाजिक दोषों के कारण तनाव पैदा होता है। उन्होंने कहा कि हमको तनाव के प्रबंधन पर ध्यान देना होगा। ऐसी जीवन शैली अपनानी होगी जिसमें हमको कम से कम तनाव का शिकार होना पड़े। उन्होंने कहा कि तनाव को दूर करने के लिए हमें योगाए ध्यान और शारीरिक श्रम करना चाहिए।