नयी दिल्ली, उद्यमिता का प्रोत्साहन देने के प्रमुख अभियान स्टार्टअप इंडिया के अंतर्गत सरकार समर्थित 1,57,066 स्टार्ट-अप में से लगभग आधे 73,000 से अधिक स्टार्टअप में कम से कम एक-एक महिला निदेशक हैं।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने संसद में पेश एक रिपोर्ट में कहा है कि सरकार ने कंपनी अधिनियम, 2013 में प्रावधान किया है कि कंपनियों के लिए कम से कम एक महिला निदेशक रखना अनिवार्य होगा।
मंत्रालय के अनुसार महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की ओर से देश भर में अनेक योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। महिलाओं को कौशल अवसर प्रदान करने वाली योजनाओं में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और महिला कॉयर योजना शामिल हैं।
महिला उद्यमियों और स्टार्ट-अप्स को सुविधा प्रदान करने वाली कुछ योजनाओं में शामिल हैं। भारतीय पेटेंट अधिनियम में कम से कम एक आवेदक महिला होने पर शीघ्र जांच का प्रावधान है। व्यक्तिगत क्षमता में अपनी बौद्धिक संपदा की सुरक्षा के लिए आवेदन करने वाली महिला उद्यमी को अन्य बड़ी संस्थाओं की तुलना में कम शुल्क देना पड़ता है। पिछले पांच वर्षों में पेटेंट दाखिल करने वाली महिलाओं की संख्या में 905 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टैंड अप इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और मुद्रा योजना बैंक ऋण और उद्यमशीलता गतिविधियों को सुविधाजनक बनाती हैं और इससे महिला उद्यमियों को काफी लाभ हुआ है। महिलाओं सहित पात्र स्टार्टअप्स के लिए ऋण गारंटी योजना समय-समय पर संशोधित किया गया है। इसके अलावा प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम एक प्रमुख ऋण-लिंक्ड सब्सिडी कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य गैर-कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के माध्यम से स्वरोजगार के अवसर पैदा करना है।
प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) जैसी योजनाएं स्ट्रीट वेंडर्स को रोजगार और स्वरोजगार तथा ऋण सुविधाएं प्रदान करती हैं। इन योजनाओं के तहत लाभार्थियों में से अधिकांश महिलाएं हैं।
योजनाओं के अतिरिक्त, राष्ट्रीयकृत बैंकों की ओर से महिला उद्यमियों को सहायता प्रदान करने के लिए कई अन्य योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। इनमें महिला उद्यम निधि योजना, देना शक्ति योजना, महिला उद्यमियों के लिए स्त्री शक्ति पैकेज और शत कल्याणी योजना आदि शामिल हैं।