मनचाही फिटनेस के लिए इच्छाशक्ति के साथ स्टेमिना की भी जरूरत होती है, लेकिन ऐसा कोई टॉनिक, गोली या जादुई नुस्खा नहीं है, जिससे रातोंरात स्टेमिना बन जाए। अपनी सेहत का ध्यान रखते हुए हर दिन एक-एक कदम करके आगे बढ़ना होगा। खिलाड़ियों की तरह तेज दौड़ने, तैरने या कई किलोमीटर तक साइकिल चलाने का सपना सभी देखते हैं। मगर जब इन सपनों को हकीकत की धरती पर उतारते हैं तो कुछ ही मिनटों में सांस उखड़ जाती है। जरा सा दौड़ने या साइकिल चलाने के बाद तो घंटों बिस्तर पर से ही नहीं उठ पाते। स्टेमिना की जरूरत केवल खिलाड़ियों को नहीं होती, रोजमर्रा के कामों को ढंग से पूरा करने के लिए भी हमें इसकी जरूरत होती है। स्टेमिना यानी किसी भी शारीरिक कार्य को लंबे समय तक करते रहने की ताकत, शारीरिक ऊर्जा।
स्टेमिना बढ़ाना एक लंबी प्रक्रिया है। शुरुआत छोटे-छोटे कदमों से ही होती है। अगर आप पहले दिन की शुरुआत 15 मिनट की हल्की-फुल्की एक्सरसाइज और स्ट्र्रेंचग से करते हैं तो भी सही है। अगर आपने दौड़ना शुरू किया है तो एकदम से तेज दौड़ना शुरू न करें। हर 3-4 दिन में अपनी चुनौती को बढ़ाते रहें, मसलन अगर आज आप 2 किलोमीटर चले हैं, तो इसे ढाई किलोमीटर कर दीजिए। मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए हल्की जिम एक्सरसाइज अच्छा विकल्प है। सेहत की जांच हममें से सभी को खिलाड़ियों जैसे स्टेमिना की जरूरत नहीं होती, इसलिए अपनी क्षमता को समझकर ही व्यायाम करने का लक्ष्य बनाएं। अगर लंबे समय से व्यायाम छोड़ चुके हैं तो एक्सरसाइज शुरू करने से पहले शरीर की जांच करा लें। डॉक्टर की सलाह से कुछ चेकअप कराएं और अपनी क्षमताओं को समझ लें। अगर आप जॉगिंग करते वक्त आसानी से बात कर रहे हैं तो समझिए कि आप बिल्कुल सही पटरी पर हैं। लेकिन अगर दौड़ते वक्त सांस फूल रही है या फिर बात करने में भी दिक्कत आ रही है तो यह समझिए कि एक्सेलरेटर से पैर हटाने की जरूरत है।
रूटीन पर रहें कायम इंग्लिश चैनल पार कर चुकीं मैराथन तैराक मीनाक्षी पाहूजा जोर देती हैं कि हमें बीच में ही हताश नहीं होना चाहिए। शुरुआत में चीजें मुश्किल लगती हैं, शरीर को व्यायाम की आदत नहीं होती। इस वजह से बहुत से लोग आधे में ही एक्सरसाइज करना छोड़ देते हैं। यह गलत है। आप धीरे-धीरे आगे बढ़िए, आप जल्द ही बदलाव महसूस करने लगेंगे। अपना एक शेड्यूल बनाएं और उसका पालन करें। पैदल चलें, दौड़ें, तैराकी सीखें या कोई भी खेल खेलना शुरू करें। बस आपके दिल की धड़कन बढ़नी चाहिए। हफ्ते में कम से कम 3 दिन तो अपने शेड्यूल पर कायम रहें। तैरना एक अच्छा व्यायाम है। यही नहीं अगर आप पूल में पैदल भी चलते हैं, तो उसके फायदे कहीं ज्यादा हैं। अच्छे स्टेमिना के लिए पहला कदम नींव मजबूत करना है। शुरुआत हमेशा आसान होनी चाहिए, जब शरीर उसका आदी हो जाए तो नए वर्कआउट के जरिए आप अपने शरीर को चुनौती दे सकते हैं।
इंटरवल ट्र्रेंनग पर ध्यान देना चाहिए। एक दिन तेज दौड़ना, र्साइंक्लग और तैराकी, फिर अगले दिन आराम या हल्की-फुल्की एक्सरसाइज। धीरे-धीरे आप अपने शरीर के कम सक्रिय रहने वाले हिस्सों को भी सक्रिय कर सकेंगे। दिमाग का स्वस्थ रहना भी जरूरी हैं मानसिक मजबूती भी जरूरी है। एक खिलाड़ी पर हमेशा मानसिक दबाव होता है, इसे संभालना सफल होने के लिए अहम है। इसके लिए मीनाक्षी पाहूजा अनुशासन के साथ ध्यान व योग पर जोर देती हैं। वह बताती हैं, 10-12 घंटे लगातार तैराकी करने के लिए आपको दिमागी तौर पर काफी मजबूत होना पड़ता है। एक्सरसाइज के साथ-साथ योग और ध्यान मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं। साथ ही सांसों की गति भी नियमित होती है।
कौन सी एक्सरसाइज कितनी फायदेमंद…
स्ट्र्रेंचग: वर्कआउट से पहले और बाद में 10 मिनट का वार्मअप और स्ट्रेच करना जरूरी है। इससे मांसपेशियों में अचानक आने वार्ले खिंचाव से बचा जा सकता है। दौड़ना: स्टेमिना बढ़ाने के लिए सबसे आसान और प्रभावी विकल्प जर्ॉंगग है। मोटापा घटाने में भी यह फायदेमंद है।
रस्सी कूदना: यह एक संपूर्ण व्यायाम है। स्टेमिना बढ़ने के साथ-साथ दिल की भी र्पंपग हो जाती है। एक घंटे रस्सी कूदने से 700 कैलोरी तक की खपत हो जाती है।
तैराकी: फिट रहने के साथ-साथ स्टेमिना बढ़ाने के लिए तैराकी एक बढ़िया विकल्प है। तैराकी से कंधे भी मजबूत होते हैं।
ट्र्रैंकग और पहाड़ चढ़ना: अगर आप एडवेंचर के शौकीन हैं तो पहाड़ की चढ़ाई करना भी अच्छा व्यायाम है, लेकिन अगर ज्यादा सांस चढ़ रही है तो गति धीमी रखनी चाहिए।
योग: मानसिक व शारीरिक दोनों तरह से स्टेमिना बढ़ाने में कारगर है। योग से सांस लेने की प्रक्रिया बेहतर होती है, जिससे शरीर और दिमाग स्वस्थ रहता है। सूर्य नमस्कार बेहतरीन व्यायाम है। सुबह छह राउंड बायीं तरफ से और छह राउंड दायीं तरफ से काफी हैं।
र्साइंक्लिंग: साइकिल चलाने से दिल की चाल भी अच्छी होती है।
सीढ़ियां चढ़ना: स्टेमिना बढ़ाने के लिए सीढ़ियां चढ़ना भी कारगर है।