नयी दिल्ली, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को राजधानी में अंतरराष्ट्रीय इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी मेला (आईईटीएफ), 2023 का उद्घाटन किया और कहा कि ‘स्वच्छ ऊर्जा को लेकर हमारी प्रतिबद्धता हमारे हरित विकास को संचालित कर रही है।’
राष्ट्रपति सचिवालय की एक विज्ञप्ति के अनुसार श्रीमती मुर्मू ने इस अवसर पर कहा, “ भारत के पास अंतरराष्ट्रीय बाजारों के साथ जुड़ने की विशिष्ट क्षमता है। स्वच्छ ऊर्जा को लेकर हमारी प्रतिबद्धता हमारे हरित विकास को संचालित कर रही है। भारत साल 2070 में शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है।”
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत अपने उत्कृष्ट विनिर्माण अनुभव, उच्च गुणवत्ता वाली प्रतिभा और अत्याधुनिक उन्नत तकनीकी उपलब्धियों का लाभ उठाते हुए अपने वैश्विक जुड़ाव का विस्तार करने के मिशन पर है। उन्होंने कहा कि ऐसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं, जहां इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में अंतरराष्ट्रीय सहयोग भविष्य में विश्व को एक समृद्ध और सुरक्षित जगह बनाने के लिए बदलाव लाएगा।
उन्होंने कहा “ तकनीक हमारे जीने के तरीके को बदलने जा रही है पर हमें सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। कोई भी प्रौद्योगिकी जो खुद को लोगों के एक समूह तक सीमित रखती है, वह धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी। दूसरी ओर, सामान्य लोगों के जीवन को सकारात्मक तरीके से बदलने वाली प्रौद्योगिकियां अपनी पकड़ बनाती हैं।”
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत में विश्व के सबसे बड़े डिजिटलीकरण अभियान की व्यापक स्वीकृति समाज की ओर से लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने वाली तकनीकों को आसानी से अपनाने का एक प्रमुख उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि आईईटीएफ ने 48 वर्षों में भारत ने एक लंबी यात्रा की है और इस साल का यह आयोजन न केवल इंजीनियरिंग और विनिर्माण क्षेत्र में भारत की विकास गाथा का उत्सव है, बल्कि विश्व की उन्नत प्रौद्योगिकियों में सर्वश्रेष्ठ के साथ राष्ट्र की सहभागिता का भी एक प्रमाण है।
राष्ट्रपति ने इसका उल्लेख किया कि आईईटीएफ- 2023 में उभरती प्रौद्योगिकियों के 11 क्षेत्र शामिल हैं, जिनका हमारी अर्थव्यवस्था और समाज पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
राष्ट्रपति ने इस पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की कि आईईटीएफ- 2023 में प्रकृति और विज्ञान के बीच सामंजस्य को बढ़ावा देने वाली इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकियों की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने का एक दृढ़ प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि मानव प्रतिभा का सर्वश्रेष्ठ उपयोग तब किया जाना चाहिए, जब वह प्रकृति का पोषण करने को लेकर उन्मुख हो। अगर विज्ञान के ज्ञान को अध्यात्म की खोज के साथ जोड़ दिया जाए तो यह चमत्कार कर सकता है।