हजारों वर्षों से मुक्ति का माध्यम है . श्रीमद्भागवत महापुराण : मुख्यमंत्री योगी
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा 5000 वर्षों से कोटि.कोटि सनातन धर्मावलंबियों की मुक्ति का माध्यम बना है और यह ऐसी कथा है, ऐसी ज्ञान परंपरा है जो बिना रुके, बिना झुके हर काल परिस्थिति में निरंतर जारी है।
मुख्यमंत्री योगी गोरखनाथ मंदिर में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 56वीं एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की 11वीं पुण्यतिथि समारोह के उपलक्ष्य में गुरुवार को श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के शुभारंभ अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
मंदिर के दिग्विजयनाथ स्मृति भवन सभागार में व्यासपीठ का पूजन करने के बाद उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन के वास्तविक ज्ञान के लिएए अहंकार से मुक्ति के लिएए जीवन की नश्वरता का अनुभव कराने के लिए भागवत पुराण जैसी कथाओं की परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति अपने निजी स्वार्थ में बुद्धि और विवेक से शून्य हो जाता है तब श्रीमद्भागवत महापुराण जैसी कथाएं उसे पतन से उबारकर उत्थान की तरफ ले जाती हैं।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा निजी स्वार्थवश होने वाली गति को दुर्गति से बचानेए उत्थान की ओर ले जाने तथा जीवन के रहस्यों को उद्घाटित करने वाली कथा है। जब व्यक्ति स्वार्थ में डूबने की गति में होता है तो उसकी दुर्गति होने में देर नहीं लगती। गति को दुर्गति से बचाने और प्रगति में बदलने का मार्ग परमार्थ और लोक कल्याण का है। यही मार्ग हमें श्रीमद्भागवत कथा दिखाती है।
उन्होंने कहा कि गोरक्षपीठ की परंपरा में पूज्य आचर्यद्वय की पुण्य स्मृति में प्रतिवर्ष गोरक्षपीठ में कथा ज्ञानयज्ञ का आयोजन किया जाता है। इस दौरान विद्यार्थीए साधक और श्रद्धालु ज्ञानए भक्ति और कर्म की त्रिवेणी में गोता लगाकर जीवन के वास्तविक ज्ञान से परिचित होते हैं। कथा के माध्यम से गोरक्षपीठ पूज्य आचर्यद्वय की स्मृतियों को जीवंत करती है। उन्होंने कहा कि गोरक्षपीठ सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान के समन्वय की पीठ है।
मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी ने कहा कि सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक धरातल पर उतारकर लोक कल्याण और लोक कल्याण से राष्ट्र कल्याण ही गोरक्षपीठ का अभीष्ट है। पीठ के पूज्य आचार्यों ने लोक कल्याण से राष्ट्र कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने में अपना जीवन समर्पित कर दिया।
गोरक्षपीठाधीश्वर ने कहा कि भारत की अनादिकाल से चली आ रही परंपरा में ज्ञान प्राप्ति के अनेक मार्ग व माध्यम हैं। परए कोई यह नहीं कह सकता कि वही श्रेष्ठ है। शिक्षार्थी और साधक के लिए मार्ग भले अलग अलग होंए लेकिन मंजिल सबकी एक ही है। वह मंजिल है सनातन और भारत का कल्याण। उन्होंने कहा कि याद रखना होगा कि सनातन और भारत के कल्याण में ही सबका कल्याण है। जिन कारणों से सनातन को नुकसान पहुंच सकता है उसे लेकर गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि उससे हमारा कल्याण हो जाएगा। सनातन को नुकसान पहुंचने पर मानव के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो जाएगा। सनातन के कल्याण से ही हर व्यक्ति का कल्याण होगा।
मुख्यमंत्री के संबोधन के उपरांत श्रद्धालुओं को श्रीमद्भागवत कथा का रसपान व्यासपीठ पर विराजमान कथा व्यासए परिधान पीठ गोपाल मंदिर श्रीअयोध्याधाम से पधारे जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी राम दिनेशाचार्य जी महाराज ने कराया।