हमारा धर्म व संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकमः राज्यपाल राम नाईक

ramnaikइलाहाबाद,  हमारा धर्म व संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम की तरह है। कुष्ठ पीड़ितों की सेवा करना सबसे बड़ा धर्म है। इस मठ से मैं कुछ लेने आया हूं, जैसे सूर्य से ऊर्जा प्राप्त कर बिजली बनाई जाती है उसी प्रकार यहां आने पर कार्य करने की विशेष ऊर्जा मिलती है। उक्त बातें उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने श्रीरूप गौड़ीय मठ के शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित विशाल धर्म सम्मेलन एवं आध्यात्मिक संगोष्ठी के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि कही। उन्होंने बताया कि उ.प्र की सबसे बड़ी न्यायालय इलाहाबाद में है और यहां जजों की कमी से न्याय जल्दी नहीं मिल पाता। राज्यपाल ने आगे कहा कि जो व्यक्ति या संस्था सौ साल पूरा करता है तो उसे एक विशेष खुशी होती है। वही ऊर्जा लेने यहां आया हूं। उन्होंने कहा कि पहले कुष्ठ रोगियों को घर से बाहर कर दिया जाता था, लेकिन आज विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि उनकी सेवा करने से कोई रोग नहीं होता। अतः इससे बड़ा धर्म और कोई नहीं है। श्री नाईक ने कहा कि जैसे लोकसभा के दरवाजे पर श्लोक लिखा है कि सांसदों को क्या करना चाहिए। अब वह करता है कि नहीं इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहा हूं लेकिन हमें अनुपालन करना चाहिए। विशिष्ट अतिथि बीएचयू के कुलपति प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि जो महत्व सौ वर्ष का होता है वह किसी अन्य का नहीं। इसलिए इस मिशन को शताब्दी समारोह पर बधाई देता हूं। कहा कि काशी विश्वविद्यालय भी सौ वर्ष पूरा कर चुका है। कार्यक्रम की शुरुआत हरि चैतन्य महाप्रभु के सम्मुख पुष्प अर्पित एवं दीप प्रज्ज्वलित कर की गई। इस दौरान पूर्व न्यायमूर्ति एस.के मुखर्जी ने भी मिशन को बधाई दी। कार्यक्रम का संचालन इविवि संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. शंकर दयाल द्विवेदी ने किया। कार्यक्रम में पूर्व न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय, गौड़ीय मठ के सचिव भक्तिसुन्दरदास जी महाराज, डाॅ. राम नरेश त्रिपाठी, श्रीपाद भक्ति वैभव पर्यटक महाराज, राजेश कुमार पाण्डेय सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button