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हमारी सफ़ेद गेंद की टीम बदलाव के दौर से गुज़र रही है : लोकेश राहुल

नयी दिल्ली , पिछला सप्ताह लोकेश राहुल के लिए खट्ठा मीठा रहा। लखनऊ फ़्रेंचाइज़ी ने उन्हें 17 करोड़ में साइन किया, जो आईपीएल इतिहास की संयुक्त रूप से सबसे बड़ी रक़म है, लेकिन भारत के लिए कप्तानी में उन्हें दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ 0-3 से क्लीन स्वीप का मुंह देखना पड़ा, जहां ख़ुद भी वह बस 12, 55 और 9 का स्कोर बना पाए थे।

यह बातें चिंतित कर सकती हैं, लेकिन राहुल को लगता है कि अभी भी वह राष्ट्रीय स्तर पर कप्तानी के कौशल सीख रहे हैं। दक्षिण अफ़्रीका के आंकड़े राहुल के लिए पहली बार थे। उन्होंने कभी लिस्ट ए क्रिकेट में कप्तानी नहीं की और आईपीएल में पंजाब किंग्स ​के बाहर उन्होंने जनवरी 2019 में इंग्लैंड लॉयंस के ख़िलाफ़ भारत ए की कप्तानी की थी। साउथ अफ़्रीका में राहुल ने एक टेस्ट और तीन वनडे में कप्तानी की।

राहुल ने इंडिया टुडे से कहा, “मेरे लिए कप्तानी करने का यह पहला मौक़ा था। यह अच्छा था, हक़ीकत में हार और जीत से बहुत कुछ सीखने को मिलता है, और ये चीज़ें आपको मज़बूत बनाती हैं।”

राहुल ने अपनी कप्तानी यात्रा की तुलना अपने टेस्ट करियर से की: “धीमी और स्थिर।” उन्होंने 2014-15 में ऑस्‍ट्रेलिया दौरे पर मध्य क्रम में बल्लेबाज़ी की। 2016-17 में बेहतरीन प्रदर्शन करने से पहले उनका स्थान टीम में पक्का नहीं था। इसके बाद एक बार दोबारा वह ख़राब फ़ॉर्म से जूझे लेकिन इंग्लैंड दौरे पर मयंक अग्रवाल के बाहर होने पर उन्होंने एक बार दोबारा ख़ुद को साबित किया।

इससे टेस्ट टीम में उनकी वापसी के दरवाज़े खुल गए। उससे पहले तक वह मध्य क्रम में ही बल्लेबाज़ी के विकल्प थे। उन्होंने इंग्लैंड सीरीज़ में चार टेस्ट में 315 रन बनाए। यह इस दौरे पर किसी भारतीय बल्लेबाज़ के दूसरे सर्वश्रेष्ठ रन थे और इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

उन्होंने कहा, “मेरा करियर हमेशा से ऐसा ही रहा है। मुझे हमेशा चीज़ें धीरे-धीरे मिली हैं। यह मेरे टेस्ट करियर के साथ हुआ है। यह एक क्रिकेटर के रूप में मेरी यात्रा के साथ हुआ है। मेरे लिए चीज़ें हमेशा धीमी और स्थिर रही हैं। मैं काफ़ी आश्वस्त हूं मेरी कप्तानी भी ऐसी ही होगी।”

टेस्ट कप्तानी से विराट के पीछे हटने के बाद भारत अब एक टेस्ट कप्तान को देख रहा है। यहां रोहित शर्मा के साथ राहुल पर भी निगाहें हैं। वहीं कुछ मानते हैं कि जसप्रीत बुमराह और ऋषभ पंत भी दावेदार हैं। चयनकर्ताओं को यह मुश्किल फ़ैसला लेना है लेकिन राहुल अब 43 टेस्ट खेल चुके हैं और उन्हें अपनी क्षमताओं पर विश्वास है।

उन्होंने कहा, “मुझे अपने नेतृत्व कौशल पर पूरा भरोसा है और मुझे पता है कि मैं खिलाड़ियों में से सर्वश्रेष्ठ ला सकता हूं। मुझे पता है कि मैं टीम के लिए, देश के लिए, अपनी फ़्रेंचाइज़ी के लिए काम कर सकता हूं। मैं कोई ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो परिणामों के आधार पर ख़ुद को आंकता है। कुछ क्षेत्र हैं, जहां मुझे एक नेतृत्वकर्ता के ​रूप में टिककर करने की आवश्यकता है। अगर मेरी टीम मेरे नेतृत्व से ख़ुश है तो यह सबसे ज़्यादा ख़ास बात है।और यही मेरे लिए मायने रखता है। मुझे पता है कि अंत में परिणाम भी आएंगे और सफलता लंबे समय तक बनी रहेगी। मुझे एक सफल कप्तान और नेतृत्वकर्ता के रूप में लंबे समय तक चलना चाहिए, बजाय इसके कि मैं कुछ बड़ा करके शुरुआत करूं और फिर नीचे की ओर चला जाऊं। उम्मीद है कि सर्वश्रेष्ठ आना अभी बाक़ी है।”

उन्होंने साउथ अफ़्रीका में अपने पहले वनडे कप्तानी के कार्यकाल से क्या सीखा? मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने महसूस किया कि राहुल ने “अच्छा काम किया है और वह आगे बेहतर होगा।” राहुल ने कहा, “उन्हें बड़ी सीख मिली है। हम अभी एक ऐसे चरण में हैं जहां हमारा ध्यान विश्व कप पर है। हम कुछ चीज़ों की दिशा में काम कर रहे हैं। हम एक टीम के रूप में बेहतर होने और सीखने की दिशा में काम कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा,”मुझे लगता है कि हमने पिछले चार या पांच वर्षों में कुछ बहुत अच्छा क्रिकेट खेला है, लेकिन यह थोड़ा सा समय भी है, जहां हमें बेहतर होना सीखना होगा। हम एक टीम के रूप में प्रगति पर काम कर रहे हैं।”