उज्जैन, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज कहा कि भारतवर्ष के ऋषि-मुनि लोगों को महामारी से बचने के तरीके बता कर गए हैं।
श्री कोविंद यहां अखिल भारतीय आयुर्वेद सम्मेलन के 59वें अधिवेशन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। समारोह के दौरान राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंंत्री शिवराज सिंह चौहान, वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव और आयुष मंत्री रामकिशोर कांवरे भी उपस्थित रहे।
समारोह को संबोधत करते हुए श्री कोविंद ने कहा कि हजारों साल पहले लिखी गई चरक संहिता में इस बात का उल्लेख है कि भोजन के पहले हाथ-पैर और मुंह अच्छे से धोना चाहिए। भारतवर्ष के ऋषि इतने साल पहले ही महामारी से बचने के उपाय देकर गए थे। कोविड के दौरान लोगों का आयुर्वेद की ओर रुझान बढ़ गया।
उन्होंने सम्मेलन में मौजूद लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि तीन श्रेणियों के लोग अधिवेशन में भाग ले रहे हैं, जिनसे देश को बहुत सी अपेक्षाएं हैं। उन्होंने कहा कि यहां मौजूद प्रशासन के लोग आयुर्वेद संरक्षण के साथ समाज में आयुर्वेद के लिए जागरुकता के क्षेत्र में काम करें। आयुर्वेद शिक्षण से जुड़े लोग गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ समाज को योग्य चिकित्सक देकर अपना कर्त्तव्य निबाहें। अनुसंधान की विधा से जुड़े लोग रोगों के उपचार और महामारी के क्षेत्र में अनुसंधान की दिशा में काम करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि ज्यादातर चिकित्सा पद्धतियों में ‘पैथी’ शब्द जुड़ा होता है। पैथी का अर्थ होता है, रोग के बाद उपचार, लेकिन आयुर्वेद रोग के मूल कारणों पर जाकर उसके निवारण पर बल देता है।
उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में हुए विचार-विमर्श अवश्य ही लोगों के प्राण बचाने में उपयोगी साबित होंगे।
समारोह में राष्ट्रपति श्री कोविंद ने शासकीय स्वायत्तशासी धन्वंतरि आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के भवन का वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन भी किया।