प्रयागराज, जौनपुर के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता धनंजय सिंह को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बड़ा झटका देते हुए स्पेशल कोर्ट की सात साल की सजा के फैसले को बरकरार रखा है। उच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद उनके चुनाव लड़ने की संभावनाएं भी समाप्त हो गयी हैं।
अभियोजन सूत्रों ने बताया कि न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की एकल पीठ ने धनंजय को जमानत देते हुए निचली अदालत द्वारा उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। उन्होंने बताया कि पूर्व सांसद ने निचली अदालत द्वारा अपनी सजा को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में समीक्षा याचिका दायर की थी।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने 25 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। गौरतलब है कि 6 मार्च को जौनपुर की एक विशेष अदालत ने धनंजय सिंह और उनके सहयोगियों को लगभग चार साल पुराने अपहरण और रंगदारी के मामले में सात साल के कठोर कारावास के साथ 50,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी।
10 मई 2020 को जौनपुर में नमामि गंगे योजना में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत अभिनव सिंघल ने लाइन बाजार थाने में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके साथी संतोष विक्रम सिंह के खिलाफ अपहरण, रंगदारी, आपराधिक साजिश रचने आदि के साथ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज कराया था।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश शरद कुमार त्रिपाठी की एमपी-एमएलए अदालत ने धनंजय और संतोष विक्रम सिंह को दोषी करार दिया था। फैसला सुनाते हुए अदालत ने धनंजय और विक्रम को अपहरण के लिए 07 साल कठोर कारावास के साथ 50,000 रुपये जुर्माना, 05 साल कठोर कारावास तथा 25,000 रुपये जुर्माना, 01 साल कठोर कारावास और 10,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। जानबूझकर अपमान के लिए 02 साल कठोर कारावास एवं 15,000 रुपये जुर्माना एवं आपराधिक साजिश के लिए 07 साल कठोर कारावास तथा 50,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनायी।
इससे पहले शनिवार सुबह कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच धनंजय को जौनपुर जेल से बरेली जिला जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। उन्होंने कहा, “ जिला प्रशासन ने उन्हें बरेली जेल में स्थानांतरित करने की अनुमति दे दी थी जिसके बाद आज सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच उन्हें स्थानांतरित कर दिया गया।”
गौरतलब है कि पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी और जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीकला सिंह जौनपुर से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं।